नई दिल्ली। पीएम मोदी की अगुवाई में देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताए जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर कई सारी ऐसी बातें है, जिन्हें बहुत कम ही लोग जानते होंगे। कभी पीएम मोदी ने खुद जीएसटी का विरोध किया था। इसके अलावा जीएसटी की नींव अटल बिहारी वाजयेपी ने डाली थी। बता दें, 1999 में अटल बिहारी वाजयेपी सरकार के दौरान पहली बार जीएसटी का जिक्र किया गया था। ऐसे में अब पीएम मोदी अटल बिहारी वाजपेयी के सपने को पूरा कर रहे हैं।
अटल युग में हुई थी GST की शुरुआत
जीएसटी की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में हुई थी। 1999 में अटल जी ने एक बैठक में आर्थिक सलाहकारों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी। इस बैठक में आरबीआई के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल, विमल जालान और सी रंगराजन शामिल थे। ऐसे में अब जाकर जीएसटी का इंतजार खत्म हो रहा है। अब लोकसभा में चार विधेयकों के पेश होते ही यह बिल अपने अंतिम चरण में है। 17 साल पहले एनडीए की सरकार से हुई इसके सफर की शुरुआत अब एनडीए की सरकार में ही खत्म होने जा रही है।
GST के लिए बनाई कमेटी
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बैठक के बाद जीएसटी को लेकर एक कमेटी बनाई गई थी। यह कमेटी आईजी पटेल, बिमल जालान और सी. रंगराजन ने बनाई थी। इसकी कमान पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री सीपीआई-एम नेता असिम दासगुप्ता को दी गई थी। इस कमेटी की जिम्मेदारी जीएसटी को लेकर एक मॉडल तैयार करना था। उन्हें इसका पूरा मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई, जिसके बाद वाजपेयी सरकार ने 2003 में विजय केलकर के नेतृत्व में टैक्स रिफॉर्म के लिए टास्क फोर्स बनाई थी।
जीएसटी को लेकर चिदंबरम ने कहा...
2004 में वाजपेयी सरकार के जाने के बाद मनमोहन सिंह की सरकार बनी। यूपीए-1 के शासन में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. 2005 में केलकर कमेटी ने 12वें वित्त आयोग के सुझाव पर जीएसटी को लागू करने की सिफारिश की. पी. चिदंबरम ने अपने अगले बजट को पेश करते वक्त जीएसटी को लागू करने की इच्छा भी जताई। फरवरी 2006 में चिदंबरम ने जीएसटी को लागू करने के लिए 1 अप्रैल, 2010 की सीमा तय की। वहीं इस दौरान असिम दासगुप्ता की कमेटी इसको लेकर अपने मसौदे पर काम करती रही। चिदंबरम में अपने बजट भाषण में 1 अप्रैल, 2010 की डेडलाइन को बार-बार दोहराया।
GST में प्रणब मुखर्जी की भूमिका
2009 में तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने असिम दासगुप्ता कमेटी द्वारा प्रस्तावित जीएसटी का मूलभूत ढांचा तैयार होने की जानकारी दी। प्रणब ने भी अप्रैल 2010 को ही उसकी समय सीमा बताया। अब इस विधेयक को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी को ही मंजूरी देनी है।
नरेंद्र मोदी ने भी किया था विरोध
आज जीएसटी को पारित कराने के लिए पूरी ताकत झोंकने वाले नरेंद्र मोदी ने कभी जीएसटी का विरोध किया था। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने जीएसटी का विरोध करते हुए कहा था कि जीएसटी की वजह से उन्हें हर साल 14,000 करोड़ रुपए का घाटा होगा।
मोदी सरकार के आने के बाद आगे बढ़ा GST
2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने पर जीएसटी ने रफ्तार पकड़ी। जीएसटी को स्टैंडिंग कमेटी की ओर से मंजूरी मिल गई। वहीं सरकार गठन के 7 महीने बाद ही अरुण जेटली ने संसद में जीएसटी बिल पेश किया, और 1 अप्रैल 2016 को लागू करने की डेडलाइन बताई लेकिन कांग्रेस ने इसका लगातार विरोध किया। इसके बावजूद मई 2015 में लोकसभा में संशोधन बिल पास किया गया जिसके बाद कांग्रेस के विरोध पर जीएसटी बिल को राज्यसभा की स्टैंडिंग कमेटी में भेज दिया गया। जिसके बाद अगस्त 2016 में दोनों पक्षों की सहमति से संशोधन बिल को पास किया गया।