नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम टिपप्णी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है और संवेदनशील मसलों का हल आपसी बातचीत से हो।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष आपसी सुलह से कोई रास्ता खोजें तो बेहतर है। कोर्ट ने मामले की जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया। सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि दोनों पक्षों को मिल-बैठकर इस मुद्दे को कोर्ट के बाहर हल करना चाहिए। हालांकि सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि दोनों समुदाय इस मुद्दे को लेकर हठी हैं, और साथ नहीं बैठेंगे। जज की ओर से ये भी प्रस्ताव दिया गया कि जरूरत पड़ी तो कोर्ट इसमें मध्यस्था को भी तैयार है।
अदालत के इस फैसले का केंद्र सरकार ने स्वागत करते हुए कहा कि इस मुद्दे को अदालत के बाहर सुलझाने की पूरी कोशिश करेंगे। सुनवाई के बाद स्वामी ने कहा कि हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। राम जहां पैदा हुए मंदिर वहीं बनेगा, मस्जिद को सरयू नदी के उस पार बनाया जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि मुस्लिम समुदाय इस सकारात्मक प्रस्ताव पर विचार करेगा।
बता दें कि पूरे विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था। इस जमीन को अदालत ने तीन हिस्सों में बांटा गया था जिसमें एक हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया जिस पर राम मंदिर बनना था। दूसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और तीसरा निरमोही अखाड़े वालों को दिया गया था। लेकिन फिर 9 मई को इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। इस मामले पर अब 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।