नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को महिलाओं के मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने वाला विधेयक पारित हो गया। मातृत्व अवकाश (अमेंडमेंट) बिल, 2016 के तहत तीन महीने से छोटे बच्चे को गोद लेने वाली महिलाओं और सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे की मां (कमिशनिंग मदर) को भी 12 सप्ताह तक का अवकाश देने का प्रवधान है। विधेयक को राज्यसभा में 11 अगस्त, 2016 में पारित किया गया था। कानून बनने के बाद 10 या अधिक व्यक्तियों को नियुक्त करने वाले संस्थानों पर यह कानून लागू होगा।
छुट्टी खत्म होने के बाद घर से भी कर सकेंगी कार्य
लीव की अवधि की शुरुआत गोद लेने वाली या सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे की मां को बच्चा सौंपे जाने से मानी जाएगी। इस विधेयक के पारित होने पर महिलाओं को मातृत्व अवकाश की अवधि समाप्त होने पर घर से काम करने की सुविधा भी मिलेगी। साथ ही 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों में क्रेच की सुविधा प्रदान करना अनिवार्य हो जाएगा। संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद कंपनियों को महिलाओं को काम के बीच चार बार क्रेच में जाने की अनुमति देना भी अनिवार्य होगा।
केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने के समय कहा, गर्भावस्था में महिलाओं की सुरक्षा बेहद गंभीर मसला है। कांग्रेस सदस्य ने इस बात पर सवाल उठाया कि दो बच्चों के जन्म के बाद मातृत्व अवकाश की अवधि कम क्यों की जा रही है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
पुरुष कर्मचारियों को भी मिले चाइल्ड केयर लीव
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने सिफारिश की है कि महिला कर्मचारियों की तरह पुरुष कर्मचारियों को भी चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) दी जाएं। आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच कंसल्टेशन किया, जिसमें लगभग सभी ने कहा कि बच्चों की जिम्मेदारी जितनी महिलाओं की है, उतनी पुरुषों की भी है। उन्हें भी दो साल की लीव मिलनी चाहिए। आयोग ने सिफारिश की ये लीव प्राइवेट सेक्टरों में भी दी जानी चाहिए। पुरुषों के लिए कुछ वक्त तक ये लीव लेना जरूरी होना चाहिए। सभी वर्कप्लेस पर क्रेश फैसिलिटी भी होनी चाहिए।