नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंजीनियर नियुक्ति मामले में सपा के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के कबीना मंत्री आजम खान को गहरा झटका देते हुए उन्हें लखनऊ हाई कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस जगदीश सिंह केहर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने आजम खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद आजम को 8 मार्च हाई कोर्ट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप कोर्ट की आंख में धूल नहीं झोंक सकते। क्या उनके पास हेलिकॉप्टर नहीं है? आपके पास कोर्ट के समक्ष उपस्थित न होने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए स्वच्छंद है। हाई कोर्ट आजम खान का पक्ष सुनने के बाद ही उचित आदेश सुनाएगा।
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने आजम के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सपा नेता ने उनके खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगाने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था।
लखनऊ पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान जल निगम में इंजीनियर के सेवा संबंधी मामले में मंत्री आजम खान, जल निगम के डायरेक्टर तथा चीफ इंजीनियर को तलब किया था। निवर्तमान प्रबंध निदेशक पी. के. आसुदान और चीफ इंजीनियर आर. पी. सिन्हा पीठ के समक्ष पेश तो हो गये थे, लेकिन आजम खान नहीं आए। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आजम के खिलाफ वारंट जारी किया था।
युगल पीठ ने जल निगम की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश जारी किए थे। गौरतलब है कि जल निगम के अधिशासी इंजीनियर धीरेन्द्र कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई थी।
याचिकाकर्ता धीरेन्द्र ने राज्य सेवा न्यायाधिकरण में याचिका दायर कर कहा था कि उसके खिलाफ विभाग द्वारा जारी किए गए आरोप पत्र में अधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर ही नहीं है। कई अन्य खामियों की भी बात याचिकाकर्ता की वकील सविता जैन ने न्यायाधिकरण के समक्ष रखी थी। इस सुनवाई के बाद न्यायाधिकरण ने याचिका स्वीकार कर ली थी।
न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ जल निगम ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने धीरेन्द्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई वाले जल निगम के आदेश को सही ठहराया था और आजम एवं अन्य अधिकारियों को तलब किया था।