अमृतसर। सन 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे से सम्बन्धित इतिहास को डिजिटल प्रौद्यौगिकी द्वारा रिकार्ड करने के प्रोजैक्ट पर काम कर रही अमरीकी खोजकर्ता गुनीता सिंह भल्ला ने शुक्रवार को ऐतिहासिक खालसा कॉलेज का दौरा किया। भल्ला ने कॉलेज की सिख रिसर्च पुस्तकालय में पहुँचकर संबंधित दस्तावेज़ों का मुआयना किया और सन् 1947 की दिल को छलनी करने वाले दर्दनाक बंटवारे से संबंधित जानकारियां प्राप्त की तथा भारत-पाक की छाती में दोनों मुल्कों दरमियान खिची गई लकीर पर विचार-चर्चा की। भल्ला अमेरिका स्थित 1947 पार्टीशन आर्काइव्ज की कार्यकारी निदेशक हैं।
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की घटनाओं से सबंधित ऐतिहासिक तथ्य इकठ्ठा करने के प्रोजैक्ट पर काम कर रही हैं। उनका मकसद बाँट से सबंधित 'मौखिक इतिहास' को डिजिटल मीडिया द्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिए इस दुखांत घटना को क्रमबद्ध करना है। वह अब तक 3000 से और ज्यादा बंटवारे के प्रत्यक्षदर्शियों का साक्षात्कार कर चुकी हैं और उनका लक्ष्य 2000 और ऐसे लोगों की खोज कर उनका इंटरव्यू करना है।
खालसा कॉलेज गवर्निंग कौंसिल के आनरेरी सचिव रजिन्दर मोहन सिंह छीना, वित्त सचिव गुनबीर सिंह और प्रिंसिपल डॉ. महल सिंह के साथ की गई बैठक के उपरांत उन्होंने कॉलेज के ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में जानकारी हासिल की। कॉलेज के कैंपस को भारत-पाक के बंटवारे के बाद शरणार्थी कैंप के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कॉलेज के पुस्तकालय से बहुत सारे ऐतिहासिक पहलूओं के बारे जानकारी की हासिल की।
भल्ला मूल रूप में भौतिक विज्ञानी हैं और उन्होंने दिसंबर 2012 में लारंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले से पोस्ट-डॉक्टरेट की है। उन्होंने अपने प्रोजैक्ट बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनको जापान में हिरोशिमा पीस मेमोरियल के 'जुबानी इतिहास सम्बन्धित गवाहियाँ देख कर यह ध्यान आया कि बंटवारे के दुखांत का बयान उन व्यक्तियों जिन्होंने इसे अपने ऊपर झेला था, को क्रमबद्ध किया जाए। उन्होंने कहा कि वह पीढ़ी जिसने बंटवारे का संताप झेला है,
वह खत्म हो रही है। इसलिए जिन लोगों ने बंटवारे को देखा और झेला है उनसे सूनी कहानियों के आधार पर इतिहास को सहेजा जा रहा है। छीना ने भल्ला को कॉलेज और मैनेजमेंट की तरफ से हरसंभव सहायता देने का ऐलान किया और कहा कि वह अपने लक्ष्य में ज़रूर सफल होंगे।