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कभी जींस-टी-शर्ट पहनकर मोटरसाइकिल दौड़ाती थीं साध्‍वी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 2 2017 2:05PM | Updated Date: Feb 2 2017 2:07PM
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इंदौर। आरएसएस के प्रचारक सुनील जोशी की देवास के चूना खदान में 2007 में की गई हत्या के बहुचर्चित मामले में अदालत ने साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। देवास के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज राजीव कुमार आप्टे ने कहा- आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं, लिहाजा उन्हें बरी किया जाता है। 

साध्‍वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कॉलेज के जमाने से मोटरसाइकिल पर घूमने की शौकीन थीं और जींस-टी-शर्ट पहना करती थीं। प्रज्ञा के पिता सीपी ठाकुर लहार के गल्‍ला मंडी रोड पर रहते थे और वहां एक क्लिनिक चलाते थे। वहीं, प्रज्ञा के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर भाजपा के एक तत्कालीन विधायक ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव भी रखा जिसे उन्‍होंने ठुकरा दिया था। 
 
कौन है साध्वी प्रज्ञा 
साध्वी प्रज्ञा भारती का असली नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर है। इनका जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। बचपन से ही प्रज्ञा का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। आरएसएस के संपर्क में आने के बाद इन्होंने संन्यास ले लिया था।   इन्हें भाषण देने की कला के चलते हिंदी भाषी प्रदेशों में खासी पहचान मिल गई। 
 
साध्वी पर धमाकों का भी आरोप
साध्वी प्रज्ञा को मालेगांव बम विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया था। इन धमाकों के बाद वारदात की जगह से इनकी बाइक मिली थी। इस बाइक के बारे में कहा जाता है कि इसे साध्वी प्रज्ञा ने बेच दी थी। इसी आधार पर अक्टूबर 2008 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। प्रज्ञा पर मकोका भी लगाया गया। जांच में मालेगांव ब्लास्ट में प्रज्ञा सिंह के खिलाफ और किसी भी अपराध में कोई सबूत नहीं मिला। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे। 
 
जेल में प्रज्ञा को हुआ कैंसर
साध्‍वी प्रज्ञा को जेल में ब्रेस्ट कैंसर हो गया था। जिसका इलाज भोपाल के एक अस्पताल में चल रहा है। उन्होंने अपने इलाज के लिए जमानत के लिए आवेदन दिया था, जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि साध्वी के खिलाफ कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं।
 
बीजेपी नेता करना चाहते थे शादी
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गांव-गांव में जाकर धर्म का प्रचार किया। उनका भाषण सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते थे। उस समय चुनावी सीजन में भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में प्रज्ञा का नाम आ गया। प्रज्ञा के कार्यक्रमों को सफल बनाने की जिम्मेदारी भारतीय जनता युवा मोर्चा की थी।
 
इसी दौरान प्रज्ञा के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर भाजपा के एक तत्कालीन विधायक ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने ठुकराते हुए कहा कि वह देश सेवा के लिए बनी हैं और इसी के लिए उन्होंने संन्यास लिया है। प्रज्ञा की गिरफ्तारी के बाद ये नेता काफी गुस्से में आ गए थे। इन्होंने गिरफ्तारी के विरोध में पूरे देश में विरोध दर्ज कराने का प्लान बनाया। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इन्हें इसकी इजाजत नहीं दी।
 
यह था मामला
29 दिसंबर 2007 को सुनील जोशी की देवास के चूना खदान में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। विरोध में आगजनी, पथराव हुआ था। औद्योगिक थाना पुलिस ने केस दर्ज किया था। पुलिस ने हत्या सहित अन्य आपराधिक प्रकरण दर्ज किए थे। जांच कर पुलिस ने 2009 में प्रकरण में खात्मा भेज दिया था। 2010 में पुन: जांच शुरू हुई तथा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित पांच अन्य को आरोपी बनाकर चालान कोर्ट में पेश किया गया था।  
 
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