नई दिल्ली। 68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजपथ पर तिरंगा फहराया और देश की ताकत का प्रदर्शन शुरू हुआ। सेना के हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति ने दादा की पत्नी को यह सम्मान दिया। इस बार परेड में सेना और अर्धसैनिक बलों के 15 मार्चिंग दस्तों ने अपने शौर्य और शक्ति का प्रर्दशन किया। इनके सैनिकों का कदमताल और जोश शानदार था।
पहली बार परेड में निकला यूएई के 144 जवानों का दस्ता
मेहमान देश होने के नाते परेड में सबसे पहला दस्ता मेहमान यूएई का निकला। पहली बार परेड में संयुक्त अरब अमीरात के 144 जवानों का दस्ता भी सेना के जवानों के साथ परेड की अगुवाई करता नजर आया। इसके बाद सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस का दस्ता दिखा। सबसे आखिर में राजपथ पर 17 राज्यों और 6 मंत्रालयों की झांकियां भी प्रदर्शित की गई।
परेड से पहले परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवाने और उनके नायब मेजर जनरल राजेश सहाय ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर--भारत के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान प्रकट किया। परमवीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित सैनिकों ने भी परेड कमांडर का अनुसरण किया। परेड का सबसे बड़ा आकर्षण भारत के एकमात्र कैवेलरी का अपने प्रतापी घोड़ों के साथ मार्च रहा।
सेना अपने टैंक टी-90 और इन्फैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल और ब्रह्मोस मिसाइल, हथियार का स्थान बताने वाले रडार स्वाति, ढुलाई करने लायक उपग्रह टर्मिनल और आकाश हथियार प्रणाली को भी दर्शाया। एक और आकर्षण धनुष तोप प्रणाली रहा। इसके बाद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर रूद्र सलामी उड़ान भरी। परेड में पहली बार देश में ही बनी तोप धनुष भी दिखाई दी।