नई दिल्ली। बोफोर्स घोटाले में अमेरिकी जांच एजेंसी सीआईए ने एक बड़ा खुलासा किया है। सीआईए का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े इसलिए स्वीडन ने बोफोर्स घोटाले की जांच बंद कर दी थी।
रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। 1988 की इस रिपोर्ट को पिछले साल दिसंबर में लाखों अन्य गोपनीय दस्तावेजों के साथ सार्वजनिक किया गया था। इस रिपोर्ट का नाम स्वीडन बोफोर्स हथियार घोटाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजीव गांधी की स्टॉकहोम यात्रा के बाद वर्ष 1988 में स्वीडन ने उस जांच को पूरी तरह से रोक दिया था जिसमें राजीव गांधी और उनके अधिकारियों को भी कथित रूप से रिश्वत देने का आरोप था।
स्वीडन की सैन्य हथियार बनाने वाली कंपनी बोफोर्स ने भारत में अपनी युद्धक तोप को बेचने के लिए राजीव गांधी और अन्य लोगों को अच्छी खासी रिश्वत देने की बात उस समय मीडिया में आई थी। वर्ष 2004 में कोर्ट ने कहा था कि राजीव गांधी के रिश्वत लेने के कोई भी सुबूत मौजूद नहीं हैं। आपको बताते चले कि 21 मई, 1991 में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वीडन के जांचकर्ताओं ने भारत के साथ बोफोर्स के लेनदेन का राष्ट्रीय ऑडिट किया था। जून 1987 में पूरा हुआ यह ऑडिट बताता है कि करीब 4 करोड़ डॉलर्स बतौर कमीशन बिचौलियों को दिया गया था। भारत सरकार ने 1986 में बोफोर्स के साथ तोप खरीदने के लिए 150 करोड़ डॉलर का करार किया था।
रिपोर्ट में कहा गया, स्वीडन सरकार बोफोर्स तोप सौदे में हुए लेन-देन के कलंक से राजीव गांधी और नोबल इंड्स्ट्रीज दोनों बचना चाहते थे। नोबल इंड्स्ट्रीज ने 1985 में बोफोर्स का अधिग्रहण किया था।