नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि मैं 68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई देता हूं। हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण वैश्विक गतिविधियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रही है। राष्ट्रपति ने काह कि काले धन को बेकार करते हुए और भ्रष्टाचार से लड़ते हुए, विमुद्रीकरण से आर्थिक गतिविधि में, कुछ समय के लिए मंदी आ सकती है। राष्ट्रपति ने डिजिटल पेमेंट की तारीफ करते हुए कहा कि इससे लेनदेन में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत करने के साथ ही नोटबंदी का समर्थन किया। इन दोनों मुद्दों पर सरकार का जोर रहा है। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए।
राष्ट्रपति ने देश को संबोधित करते हुए कहीं यह बातें...
- लोकतंत्र ने हम सब को अधिकार प्रदान किए हैं। आज युवा आशा और आकांक्षाओं से भरे हुए हैं।
- ज्यादा से ज्यादा कैशलेस को बढ़ावा दें। इससे देश की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी।
- हमारा लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है, लेकिन हम चाहते हैं हमारा लोकतंत्र बढ़े, कम न हो।
- हमें गरीबी से लड़ने के लिए 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि से बढ़ाना होगा।
- कृषि क्षेत्र को लचीला बनाने के लिए और ज्यादा परिश्रम करना होगा।
- युवाओं को अधिक रोजगार प्राप्त कराने के लिए अधिक परिश्रम करना होगा।
- मनरेगा जैसे कार्यक्रमों पर खर्च बढ़ा है, गांवों में रोजगार बढ़ा है।
- लोकतंत्र ने हमें अधिकार दिए हैं, लेकिन इसके साथ हमें कर्तव्यों को भी निभाना होगा।
- हम अभी श्रेष्ट नहीं हैं और हमें अपनी कमियों को पहचानना चाहिए।
- हमें गांव के लोगों के लिए ज्यादा सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए, जिससे उनका जीवन अच्छा हो सके।
- मातृभूमि के सेवा के लिए हमसे जो कुछ हो सके, करना चाहिए और अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए।
- बच्चों को उनके बचपन का पूरा आनंद लेने का मौका मिलना जरूरी है।
- युवाओं को रोजगार देने और औद्योगिक विकास के लिए अवसरों को विकसित करना है।
- सरकार के कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं लोगों की भलाई के लिए।
- स्वच्छ भारत अभियान गांधी जी की जयंती को शुरू किया गया।
- डायरेक्ट ट्रांसफर से पारदर्शिता बढ़ी है पैसा सही हाथों में पहुंचा है।
- विचारों में विविधता लोकतंत्र के पुष्पित-पल्लवित होने के लिए जरूरी हैं।
- हजारों साल से हम अलग-अलग विचारों, मतों के लिए साथ-साथ रह रहे हैं।
- हमारे लोकतंत्र की ताकत इस तथ्य से प्रमाणित होती है कि 2014 के चुनाव में 65 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
- हमें ये मानना होगा कि हमारा सिस्टम परफेक्ट नहीं हैं, इसकी खामियों की पहचान कर उन्हें सुधारना होगा।
- हमने जनता से जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी है।
- गरीबी अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है, हमें फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित करनी है।
- हमें अपने सैनिकों के कल्याण के लिए काम करना है जो हमें आंतरिक और बाहरी खतरे से बचाते हैं।
- गांधी जी का सपना, हर आंख से आंसू पोछने का अभी पूरा नहीं हुआ।