नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी के मामले की जांच कर रही संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष बुलाए जाने को लेकर उठे विवाद के बीच समिति ने स्पष्ट किया कि वह किसी मंत्रालय से जुड़े मामले में अधिकारियों को तो साक्ष्य लेने के लिए बुला सकती है लेकिन प्रधानमंत्री या किसी मंत्री को नहीं बुला सकती।
लोकसभा जनसंपर्क कार्यालय द्वारा यहां जारी लोक लेखा समिति की एक विज्ञप्ति में यह स्पष्टीकरण दिया गया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोकसभा अध्यक्ष के दिशा-निर्देशों के नियम 99 के तहत किसी मंत्रालय के लेखे-जोखे की जांच के सम्बन्ध में साक्ष्य लेने के लिए अधिकारियों को तो बुलाया जा सकता है लेकिन किसी मंत्री या प्रधानमंत्री को साक्ष्य लेने या विचार-विमर्श के वास्ते नहीं बुलाया जा सकता है।