नई दिल्ली। पानी के नीचे और सतह पर दुश्मन पर हमला करने में सक्षम खांडेरी पनडुब्बी को नौसेना में शामिल कर लिया गया है। भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद भारत की समुद्री ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमएसडीएल) में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने इसे भारतीय नौसेना को सौंपा।
1 मई 2016 से चल रहा था ट्रायल
अब खांडेरी को ट्रायल के लिए नौसेना के वार जोन में जगह दी जाएगी। खांडेरी कलवरी श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है। भारतीय नौसेना के प्रॉजेक्ट 75 के तहत एमडीएल में फ्रांस के मैसर्स डीसीएनएस के साथ मिलकर पनडुब्बी का निर्माण किया है। कलवरी का 1 मई 2016 से ही समुद्र में ट्रायल चल रहा है। इसी श्रेणी की और एक पनडुब्बी खांडेरी बनकर तैयार है, जिसे गुरुवार को नौसेना को सौंपा गया। खांदेरी नाम मराठा बलों के द्वीपीय किले के नाम पर दिया गया है।
इसलिए सबमरीन का नाम पड़ा 'खांदेरी'
खांदेरी नाम मराठा बलों के द्वीपीय किले के नाम पर दिया गया है। इसकी 17वीं सदी के अंत में समुद्र में मराठा बलों का सर्वोच्च अधिकार सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका थी। इस सबमरीन से टारपीडो के जरिए भी दुश्मन पर अटैक किया जा सकेगा। सममरीन पानी में हो या सतह पर दोनो ही स्थितियों में इसकी ट्यूब प्रणाली एंटी सिप मिसाइल लॉन्च कर सकती है। सबमरीन को ऐसे डिजाइन किया गया है कि वो हर जगह चल सके।
खांडेरी पनडुब्बी की यह है खासियत
दुश्मनों पर पानी के नीच और पानी के सतह से हमला कर सकती है।
यह गाइडेड हथियारों से हमला करने में पूरी तरह से सक्षम है।
खांडेरी के ट्यूब से एंटी शिप मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
खांडेरी की स्टैल्थ तकनीक अपडेटेड है जो अन्य पनडुब्बियों के मुकाबले ज्यादा कारगर है।
खांडेरी का इस्तेमाल एंटी भूतल युद्ध, पनडुब्बी रोधी जंग, खुफिया जानकारी जुटाने, बारूद बिछाने, निगरानी करने में किया जाएगा।