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यूपी: सपा की सुलह फेल, यही हाल रहा तो BJP होगी सबसे बड़ी पार्टी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 4 2017 11:39AM | Updated Date: Jan 4 2017 11:40AM
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नई दिल्‍ली। देश की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए मंगलवार का दिन बेहद निराशाजनक साबित हुआ। पिता-बेटे और चाचाओं के बीच मची कलह से त्रस्त पार्टी में सुलह-सफाई का प्रयास बुरी तरह असफल रहा। इसी के साथ यह भी साफ हो गया कि अब सपा का दो-फाड़ होना लगभग तय है। इसी मोड़ पर सामने आए एक अहम चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के नतीजे भी सपा नेताओं के लिए चुभने वाले रहे। इनमें कहा गया है कि अगर पार्टी दो गुटों में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ती है तो भाजपा उसे पटकनी देकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने में सफल रहेगी। बसपा तीसरे और कांग्रेस दयनीय रूप से चौथे क्रम पर रहेगी। 
 
ऐसा है विधानसभा का गणित
यूपी विधानसभा में कुल 404 सीटें हैं। इनमें से एक सीट पर सरकार किसी को मनोनीत करती है। चुनाव कुल 403 सीटों के लिए होते हैं। विधानसभा में वर्तमान दल संख्या इस प्रकार है:
सपा  229
बसपा  80
भाजपा  40
कांग्रेस 27
अन्य 24
(वर्तमान में 3 सीटें रिक्त हैं)
 
जनमत सर्वेक्षण के अहम बिंदु...
- ओपिनियन पोल के लिए नोटबंदी और सपा में झगड़े के दौरान 5 से 17 दिसंबर के बीच 65 विधानसभा क्षेत्रों में 5000 से ज्यादा लोगों से उनकी राय ली गई।
- सर्वे में हिस्सा लेने वालों में से 28 फीसदी लोगों का कहना है कि वे यूपी के अगले मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव को ही देखना चाहते हैं।
 
अगर आज चुनाव हुए तो किसे कितनी सीटें?
सपा - 141 से 151
भाजपा - 129 से 139
बसपा - 93 से 103
कांग्रेस- 13 से 19
 
अखिलेश-मुलायम अलग चुनाव लड़े?
सपा अखिलेश गुट: 82 से 92 
मुलायम गुट: 9 से 15 सीटें
भाजपा - 158 से 168
बसपा - 110 से 120
कांग्रेस - 14 से 20
 
सपा में यूपी का सबसे जनप्रिय नेता कौन?
अखिलेश यादव - 83%
मुलायम सिंह यादव - 6%
 
अखिलेश और मुलायम में कौन हो सीएम?
अखिलेश यादव - 37%
मुलायम सिंह यादव - 33%
(सपा मतदाताओं में 83% की पसंद अखिलेश हैं)
 
सीएम के लिए पसंद?
अखिलेश - 28%
मायावती - 21%
महंत आदित्यनाथ- 4%
मुलायम - 3%
 
किसकी सरकार ज्यादा बेहतर?
45% ने माना अखिलेश की सरकार मायावती से अच्छी रही।
 
सपा में कलह का खलनायक कौन?
शिवपाल - 25%
अखिलेश - 6%
 
किसे किसके कितने वोट?
54% मुस्लिम वोट सपा को
75% यादव मत सपा को
55% सवर्ण मत भाजपा को
74% जाटव मत बसपा को
56% दलित वोट बसपा को
 
किस अंचल में कितने वोट?
पूर्वी उत्तर प्रदेश
33% सपा
30% भाजपा
 
पश्चिमी यूपी
37% भाजपा
16% सपा
 
अखिलेश और कांग्रेस साथ चुनाव लड़ें तो..?
सपा अखिलेश +कांग्रेस - 133 से 143
भाजपा - 138 से 148
बसपा - 105 से 115
 
सुलह का आजम फॉर्मूला
- मुलायम राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें, अखिलेश दावा वापस लें।
- अखिलेश प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएं और टिकट बंटवारे में उनकी अहम भूमिका रहे।
-  शिवपाल राष्ट्रीय महासचिव बनाकर दिल्ली की राजनीति में भेज दिया जाए।
- अमर व रामगोपाल को पार्टी से बाहर किया जाए।
 
कुल की कलह
सपा की तकरार का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। मंगलवार को दोनों गुटों में सुलह की कोशिश नाकाम हो गई। मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव के बीच मंगलवार को करीब तीन घंटे तक चली मुलाकात में बात नहीं बनी। सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्ष अपनी-अपनी शर्तों को लेकर अड़ गए हैं। दरअसल अखिलेश राज्य में टिकट बंटवारे पर अपना एकाधिकार, अमर सिंह को पार्टी से निकालने और शिवपाल सिंह यादव को उप्र के प्रदेश अध्यक्ष पद पर से हटाने और रामगोपाल को फिर से पार्टी में जगह और अधिकार दिए जाने पर अड़े हुए थे, वहीं मुलायम ने इन शर्तों को खारिज कर दिया।
 
रामगोपाल बोले, अब समझौता नहीं
अखिलेश धड़े के रामगोपाल सिंह यादव ने पार्टी में किसी तरह की सुलह की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि सपा में अब कोई समझौता नहीं होने वाला। हम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में राज्य में चुनाव लड़ेंगे। रही बात चुनाव चिह्न की तो इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है।
 
...तो मोटरसाइकिल की सवारी करेंगे 
अटकलें हैं कि अगर साइकिल चुनाव चिह्न पर कोई पेंच फंसता है, तो अखिलेश खेमा मोटरसाइकिल को चुनाव चिह्न के तौर पर लेने का विचार कर सकता है। चुनाव चिह्न की लड़ाई को लेकर अखिलेश गुट भी मंगलवार को चुनाव आयोग से मिला। 
 
उम्मीदें बाकी: आजम
सुबह सुलह कराने में असफल रहे राज्य के वरिष्ठ मंत्री आजम खान ने कहा कि मायूसी और फिक्रमंदी है, लेकिन समय है। अभी भी कुछ भी हो सकता है। आजम का कहना है कि उन्हें इस मामले में एक बार कामयाबी मिली और अगर हालात ने साथ दिया तो फिर इसके लिए कोशिश जरूर करेंगे। इसलिए अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि सुलह के लिए अब कोई रास्ता नहीं बचा है। 
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