नई दिल्ली। बीमाधारकों को लाभान्वित करने वाली एक व्यवस्था के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कहा है कि मच्छर काटने से मलेरिया के शिकार व्यक्ति की मौत एक दुर्घटना है। न्यायमूर्ति वीके जैन ने कहा, यह स्वीकारना हमारे लिए मुश्किल है कि मच्छर के काटने की वजह से हुई मौत दुर्घटना से हुई मौत नहीं होगी।
इसमें बमुश्किल कोई विवाद हो सकता है कि मच्छर का काटना ऐसी चीज है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं होती और अचानक हो जाती है। आयोग ने कहा, बीमा कंपनी की वेबसाइट के अनुसार दुर्घटना में सांप का काटना और कुत्ते का काटना जैसी घटनाएं शामिल हो सकती हैं। अतएव, ऐसे में यह दलील हजम करने में बड़ी मुश्किल है कि मच्छर के काटने से हुई मलेरिया बीमारी है न कि एक दुर्घटना।
क्या है मामला
आयोग का यह आदेश मौसमी भट्टाचार्य के बीमा दावे पर आया है, जिनके पति देबाशीष की जनवरी, 2012 में मौत हो गई थी। देबाशीष ने बैंक आॅफ बड़ौदा से होमलोन और नेशनल इश्योरेंस कंपनी से बीमा पॉलिसी ली थी। मौसमी जब होमलोन खत्म करवाने बीमा कंपनी के पास पहुंचीं, तब उनका दावा खारिज हो गया। इसके बाद मौसमी ने 2014 में प. बंगाल के जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की।
फोरम में बीमा कंपनी ने कहा कि देबाशीष की मौत मच्छर के काटने से हुई है ना कि दुर्घटना से। लेकिन फोरम ने मौसमी के पक्ष में फैसला दिया। इसके खिलाफ बीमा कंपनी ने प. बंगाल उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन वहां पर भी फरवरी में अपील खारिज कर दी गई। कंपनी ने इसके बाद राष्ट्रीय आयोग का रुख किया था।