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और बढ़ेगी नोटों की किल्‍लत, कर्मचारियों ने किया काम करने से इनकार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 30 2016 12:26PM | Updated Date: Dec 30 2016 12:26PM
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कोलकाता। नोटबंदी की वजह से देशभर में करंसी की किल्लत पहले से ही महसूस की जा रही है और अब पश्चिम बंगाल के सालबोनी स्थित करंसी प्रिंटिग प्रेस से जो खबर आ रही है, वो और परेशानी बढ़ाने वाली है।
 
इस प्रिंटिग प्रेस के कर्मचारियों ने अब शिफ्ट के अलावा अतिरिक्त घंटों में काम करने से इनकार कर दिया है। इन कर्मचारियों ने साफ कहा है कि वो 12-12 घंटे तक अब और काम नहीं कर सकते हैं। इस नए घटनाक्रम से करेंसी नोटों की प्रिंटिंग और प्रोडक्शन प्रक्रिया के प्रभावित होने की संभावना है।
 
लगातार 12-12 घंटे काम करने से कर्मचारी हो रहे हैं बीमार
अभी तक 4.5 करोड़ नोट दिन में छापे जाते थे जो घटकर 3.4 करोड़ रह सकते हैं। सालबोनी स्थित करंसी प्रिंटिग प्रेस में 700 कर्मचारी और करीब 150 अधिकारी हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से संचालित भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड में कर्मचारियों के कॉन्ट्रेक्ट में हर दिन 9 घंटे काम करने की शर्त है, लेकिन नोटबंदी के ऐलान के बाद से ही ये कर्मचारी लगातार 12-12 घंटे काम कर रहे हैं। 
 
प्रिटिंग प्रेस में अब तक 14 कर्मचारी बीमार पड़ चुके हैं। इसके अलावा कई और कर्मचारी भी काम के तनाव और मौसम के असर की वजह से खराब स्वास्थ्य की शिकायत कर रहे हैं। सालबोनी नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। यहां करंसी प्रिटिंग प्रेस के कर्मचारियों का कहना है कि प्रेस परिसर में स्वास्थ्य की समुचित देखभाल के लिए न्यूनतम सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां से निकटतम अस्पताल भी 25 किलोमीटर दूर मिदनापुर में है।
 
अतिरिक्त काम का नहीं हो रहा भुगतान
भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस सांसद शिशिर अधिकारी ने कहा, कर्मचारी बीमार पड़ रहे हैं और उन्हें ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं दिया जा रहा है। हम संकट को समझते हैं।
 
इसमें कोई राजनीति नहीं लेकिन ये मानवीय आधार पर ठीक नहीं है। कर्मचारी 12 घंटे तक काम कर रहे थे लेकिन इस तरह और आगे काम नहीं किया जा सकता, इसलिए हमने मांग की है कि कर्मचारियों के कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक उनसे हर दिन 9 घंटे ही काम लिया जाए।
 
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