नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने ऐसे लगभग 200 राजनीतिक दलों की सूची तैयार की है, जो सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक करीब 200 दलों ने साल 2005 से किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है। इन राजनीतिक दलों पर कालेधन को सफेद करने का आरोप भी है। आने वाले दिनों में आयोग इनकी मान्यता रद्द करेगा।
निर्वाचन आयोग ऐसे 200 से अधिक दलों के वित्तीय मामलों की जांच करने के लिए आयकर अधिकारियों को पत्र लिखने वाला है, जिन्हें उसने चुनाव न लड़ने के कारण 'सूची से बाहर' किया है। आयोग ने बीते कुछ समय में ऐसे विभिन्न दलों की पहचान की है, जिन्होंने वर्ष 2005 से चुनाव नहीं लड़ा है। आयोग ने ऐसे 200 से अधिक दलों को 'सूची से बाहर' किया है।
आयोग का मानना है कि इनमें से अधिकतर दल सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं ताकि चंदा लेकर लोगों के कालेधन को सफेद करने में मदद की जा सके। अगले कुछ दिन में, आयोग सूची से बाहर किए गए इन दलों के नाम आयकर अधिकारियों को भेजेगा और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त पाए जाने पर संबंधित कानून के तहत कार्रवाई की मांग करेगा।
निर्वाचन आयोग के पास किसी राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन करने का अधिकार तो है लेकिन चुनावी नियमों के तहत उसके पास किसी दल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार नहीं है। किसी दल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के अधिकार की उसकी मांग कानून मंत्रालय के समक्ष लंबित है। ऐसे में आयोग ने निष्क्रिय रहने और लंबे समय तक चुनाव न लड़ने वाले दलों को सूची से बाहर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल किया है।
भारत में 1780 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड पार्टियां हैं। इसके अलावा देश में सात राष्ट्रीय दल- बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीएम और एनसीपी हैं। इसके अलावा 58 क्षेत्रीय दल हैं। चुनाव में कालेधन का प्रवाह रोकने के लिए आयोग ने कई चुनावी सुधारों का प्रस्ताव दिया है लेकिन इनमें से अधिकतर सरकार के सामने लंबित हैं।