नई दिल्ली। महिला सशक्तीकरण से सम्बद्ध संसद की समिति ने आंध्र प्रदेश में कर्ज न चुका पाने के कारण बड़ी तादाद में गरीब लोगों की आत्महत्या के लिए कर्ज देने वाली निजी कंपनियों को जिम्मेदार ठहराते हुए देश भर में ऐसी वित्तीय संस्थाओं के लिए सख्त कानून बनाने की सिफारिश की है।
लोकसभा की इस समिति ने हाल ही में सदन में पेश अपनी आठवीं रिपोर्ट में पाया है कि सरकारी एवं ग्रामीण बैंकों की आनाकानी के कारण अधिकांश स्वयं सहायता समूह छोटे ऋण देने वाली निजी कंपनियों से कर्ज लेते हैं। इन लघु वित्तीय संस्थाओं ने देश भर में वर्ष 2014-15 में 37599 करोड़ रुपये का ऋण दिया था जो वर्ष 2015-16 में लगभग डेढ गुना बढकर 61860 करोड रुपये हो गया।