24 Apr 2024, 08:09:35 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

नई दिल्ली। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हजारों लोगों की जान बचाने वाले ‘डाकिया कबूतर’ संदेश पहुंचाने में माहिर होने के साथ कई गंभीर बीमारियों के संवाहक भी हैं। इनसे अधिक ‘प्यार -दुलार ’खतरनाक हो सकता है। कबूतर आ,आ,आ, कहकर उन्हें दाना डालने और बालकनी के किसी कोने में लगे घोंसलों को शुभ मानकर अपने करीब ‘फलने -फूलने’ देने से अथवा न चाहने पर भी उनका प्राय: घरों के आसपास डेरा जमाए रहने से दमा ,एलर्जी फेफड़े और सांस से संबंधित करीब 60 प्रकार की बीमारियों की चपेट में लोग आ सकते हैं। सतर्कता नहीं बरतने पर कबूतरों की बीट और हवा में फैले उनके ‘माइक्रोफेदर्स ’से जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं।

 
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