पटना। बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने साफ किया है कि क्योंकि वह सार्वजनिक तौर पर अपनी पार्टी से असहमति जता देते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उनके और पार्टी के रास्ते अलग हैं। सिन्हा ने कहा कि 'मैं इस पार्टी के साथ पिछले 28 सालों से हूं, तब तो ये सब लोग थे भी नहीं। ये लोग मेरे लिए इस तरह की टिप्पणियां करके बस ध्यान बटोरते हैं।' सिन्हा का इशारा बिहार में बीजेपी के नेता मंगल पांडे की तरफ था जिन्होंने कहा था कि अगर सिन्हा को पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले से इतनी ही दिक्कत है तो वह कांग्रेस में क्यों नहीं शामिल हो जाते।
सिन्हा ने साफ किया कि विमुद्रीकरण को लेकर उन्होंने जो आलोचना की थी उसे गलत समझा गया। सिन्हा ने कहा 'मैं पीएम मोदी को इस साहसिक और समझदारी भरे कदम के लिए सैल्यूट करता हूं लेकिन उनकी टीम ने उन्हें निराश किया।' सिन्हा ने दोहराया कि 86 प्रतिशत नोटों को वापस लिए जाने का सबसे ज्यादा खामियाज़ा औरतों और ग्रामीण भारत के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि पटना साहिब सीट से पार्टी के सांसद शत्रुघ्न ने दो दिन पहले ही नोटबंदी को लेकर कराए गए सर्वे पर सवाल उठाए थे। शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था और लिखा कि 'मूर्खों की दुनिया में जीना बंद करें। ये मनगढ़ंत कहानियां और सर्वे निहित स्वार्थों के लिए किए गए हैं।'
पिछले ही हफ्ते डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में नोटबंदी को ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ और संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला बताया था। इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 'यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए।' इस पर सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की छवि एकदम साफ है और कोई यह नहीं कह सकता कि उनका किसी भी घोटाले में हाथ है। उनकी बात को गंभीरता से सुना जाना चाहिए। यह बात बीजेपी की गठबंधन पार्टी शिवसेना ने भी कही थी।