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मेरे धर्म से किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए : प्रधान न्यायाधीश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 20 2016 7:58PM | Updated Date: Nov 20 2016 7:58PM
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नई दिल्‍ली। समाज में शांति के लिए सहनशीलता पर जोर देते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने कहा कि इंसान और ईश्वर के बीच का रिश्ता नितांत निजी होता है और इससे किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की ओर से पारसी धर्म पर लिखी गई एक किताब के विमोचन के दौरान न्यायमूर्ति ठाकुर ने यहां कहा कि जितने लोग राजनीतिक विचारधाराओं के कारण नहीं मारे गए, उससे कहीं ज्यादा लोगों की जान धार्मिक युद्धों में गई है।
दि इनर फायर, फेथ, चॉइस एंड मॉडर्न-डे लिविंग इन जोरोऐस्ट्रीअनिजम शीर्षक वाली किताब का विमोचन करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने यह भी कहा कि धार्मिक मान्यताओं की वजह से इस दुनिया में ज्यादा तबाही, नुकसान और खून-खराबे हुए हैं।
 
सीजेआई ने कहा, इस दुनिया में राजनीतिक विचारधाराओं से कहीं ज्यादा जानें धार्मिक युद्धों में गईं हैं। ज्यादा इंसानों ने एक-दूसरे की हत्या की है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि उनकी राह उसके रास्ते से ज्यादा अच्छी है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह एक काफिर है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह एक नास्तिक है। धार्मिक मान्यताओं की वजह से इस दुनिया में ज्यादा तबाही, नुकसान और खून-खराबे हुए हैं।
 
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, मेरा धर्म क्या है मैं ईश्वर से खुद को कैसे जोड़ता हूं, ईश्वर से मेरा कैसा रिश्ता है, इन चीजों से किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। आप अपने ईश्वर के साथ अपना रिश्ता चुन सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान और ईश्वर के बीच का रिश्ता नितांत निजी और व्यक्तिगत होता है। लिहाजा, इससे किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
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