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SC जज बोले: कोई है, जो जस्टिस काटजू को बाहर निकाले

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 12 2016 9:43AM | Updated Date: Nov 12 2016 9:43AM
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को अदालत की अवमानना का नोटिस थमा दिया है। काटजू सुप्रीम कोर्ट के ही बुलावे पर सुनवाई के लिए पहुंचे थे। शुक्रवार को यहां दो बातें खास थीं, एक तो पहली बार सुप्रीम कोर्ट का कोई पूर्व जज कोर्ट में पेश हुआ।
 
दूसरा सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व जज को ही अवमानना नोटिस दिया। सुनवाई दोपहर 2 बजे शुरू होनी थी। काटजू 1 बजे ही कोर्ट रूम में आ गए। कार्रवाई शुरू होने पर बेंच ने काटजू से 30 मिनट में अपनी बात रखने को कहा। केरल के सौम्या बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में काटजू ने अपने ब्लॉग पर जजों पर हमला किया था। शीर्ष अदालत ने इसे जजों की अवमानना माना था और काट्जू को तलब किया था।
 
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस प्रफुल्लचंद पंत और जस्टिस उदय उमेश ललित की विशेष पीठ के सामने पूर्व जस्टिस काट्जू पेश हुए। पीठ ने काट्जू से कहा कि उन्होंने फैसले की आलोचना नहीं की, अपितु जजों की आलोचना की है। इस पर जस्टिस काट्जू गुस्से से भर उठे। उन्होंने कहा, ‘मिस्टर गोगोई मुझे धमकी मत दीजिए... आपको जो करना है कीजिए, मैं डरता नहीं हूं..!’
 
यही नहीं क्रोध में  काटजू और जोर-जोर से चिल्लाने लगे। इस पर जस्टिस गोगोई ने सिक्योरिटी बुला ली। उन्होंने कहा, ‘कोई है जो जस्टिस काटजू को बाहर निकाल सके।’ कुछ पुलिस वाले काटजू के नजदीक पहुंचे, लेकिन जस्टिस गोगोई ने उन्हें छोड़ देने का इशारा किया और बेंच से उठ गए। इसके बाद काटजू खुद बाहर निकल गए। 
 
हाई वोल्टेज केस में इस तरह चली बहस
कोर्ट रूम में चल रही तनातनी के बीच अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बेंच से कहा कि उनके हिसाब से काटजू ने जो भी लिखा वो आवेश में लिखा गया था। इसे कोर्ट की अवमानना न मानना ही बेहतर होगा। 
 
काटजू : मैं साबित कर दूंगा ये आईपीसी के सेक्शन 300 यानी हत्या का मामला है। सौम्या ट्रेन से कूदी या गिर गई, कोर्ट को ये देखना चाहिए था कि इस तरह के हालात किसने पैदा किए?
 
जज (जस्टिस ललित ने काटजू को सर कह कर संबोधित किया) : हत्या का मामला बनने के लिए सीधी वजह होना जरूरी है। सिर्फ संदेह के आधार पर किसी को हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सौम्या रेलवे ट्रैक से जितनी दूर मिली उससे यही लगता है कि वो खुद कूदी थी।
 
काटजू : अरे! कॉमन सेन्स भी कोई चीज होती है। मैंने भी जज रहते कई गलतियां की हैं। मैं उन्हें दिखा सकता हूं। 
 
जज : हम जानते हैं। अक्सर आपके जजमेंट पढ़ते हैं। आपके 30 मिनट पूरे हो चुके हैं। 
 
काटजू : आप जो भी फैसला करना चाहें करें, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। 
 
जज : किसी को मौत की सजा देने के लिए ये जरूरी है हम 101 फीसदी आश्वस्त हों। 
 
फैसला सुनाने के बाद जस्टिस गोगोई ने काटजू को रुकने के लिए कहा। उन्होंने कोर्ट स्टाफ को काटजू को उनके ब्लॉग की कॉपी देने को कहा। इसके बाद जस्टिस गोगोई ने पूछा- क्या इन्हें आपने लिखा है? काटजू के हां कहने पर बेंच ने कहा- हम मानते हैं कि आपने जो लिखा वो फैसले की आलोचना नहीं बल्कि जजों को बुरा कहने की नीयत से लिखा गया था। हम आपको अवमानना का नोटिस जारी कर रहे हैं।
 
जिस अदालत से सेवानिवृत्त हुए काटजू, वहीं पेशी
पूर्व न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति गोगोई को मिस्टर गोगोई कहकर कई बार पुकारा। उन्होंने यह भी अहसास कराया कि वह (न्यायमूर्ति गोगोई) उच्चतम न्यायालय में उनसे जूनियर न्यायाधीश रहे हैं। यह वही अदालत कक्ष है जहां न्यायमूर्ति काटजू सेवानिवृत्त होने के समय अंतिम बार न्यायाधीश थे।
 
मजेदार तथ्य यह है कि न्यायमूर्ति काट्जू और वर्तमान न्यायमूर्ति ललित की भूमिका बदली हुई थी। कभी न्यायमूर्ति ललित, न्यायमूर्ति काट्जू की अदालत में अपने मामले की पैरवी करते थे और अब न्यायमूर्ति काटजू सौम्या हत्या मामले में न्यायमूर्ति ललित की अदालत में अपना पक्ष रखने आए थे। इस मामले में न्यायमूर्ति काटजू ने अदालत से अपना पक्ष रखने के लिए एक घंटे का वक्त मांगा था।
 
 
1 फरवरी, 2011 को एनार्कुलम से शोरनूर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन के लेडीज कंपार्टमेंट में सौम्या (23) पर गोविंदास्वामी नाम के आदमी ने हमला किया था। सौम्या बचने के प्रयास में चलती ट्रेन से कूद गई थी।
 
उसके पीछे ही गोविंदास्वामी भी ट्रेन से कूद गया और उसने बुरी तरह घायल सौम्या के साथ बेहोशी की दशा में दुष्कर्म किया और उसके बाद उसका मोबाइल फोन और अन्य सामान लूटकर भाग गया। बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान सौम्या की मौत हो गई थी। 15 सितंबर को गोविंदास्वामी को निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में रद्द कर दिया।
 
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