नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को बिल्डर ने जो फ्लैट दिया है, वह रहने लायक नहीं है। राठौड़ ने सुप्रीम को कोर्ट को इस बारे में जानकारी दी। इसके बाद कोर्ट ने इसकी जांच के लिए बुधवार को वकीलों की दो सदस्यीय समिति गठित की। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 21 अक्टूबर को बिल्डर पार्श्वनाथ डेवलपर्स को दो दिनों के भीतर मंत्री को फ्लैट का कब्जा सौंपने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ को राठौड़ के वकील ने बताया कि आवंटित फ्लैट तक पहुंचने की आम सुविधा नहीं जैसा कि बुकिंग के समय कहा गया था। केंद्रीय मंत्री ने 2006 में पार्श्वनाथ की एग्जोटिका परियोजना में फ्लैट बुक कराया था और करीब 70 लाख रुपए दिए थे। बिल्डर को 2008-09 में फ्लैट सौंपना था। ऐसा न होने पर राठौड़ उपभोक्ता अदालत गए। इस साल जनवरी में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बिल्डर को ब्याज के साथ मूल रकम लौटाने और मुआवजा देने का आदेश दिया था।