नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों को पीड़ादायक करार देते हुए कहा कि देश की एकता के लिए जीने -मरने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर ऐसी घटना दुखद है।
मोदी ने 'मन की बात' के 25 वें संस्करण में सरदार पटेल का जिक्र करते हुए कहा कि कल 31 अक्टूबर, को एक तरफ सरदार साहब की जयंती का पर्व है, तो दूसरी तरफ, श्रीमती इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि भी है। सरदार साहब एकता के लिए जिए, एकता के लिए जूझते रहे; एकता की उनकी प्राथमिकता के कारण कई बार वे नाराजगी के शिकार भी रहे, लेकिन एकता के मार्ग को उन्होंने कभी छोड़ा नहीं; लेकिन, उसी सरदार की जन्म-जयंती पर हजारों सरदारों को, उनके परिवारों को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मौत के घाट उतार दिया गया। यह बेहद पीड़ादायक बात है।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने दीपावली का पर्व इस बार वीर जवानों को समर्पित करने का आह्वान करते हुए कहा कि जान की बाजी लगाकर सरहद की सुरक्षा कर रहे जवानों की बदौलत ही देश निर्भय होकर खुशी और उल्लास के साथ दीपावली का त्योहार मना रहा है।
प्रधानमंत्री ने पावन प्रकाश पर्व दीपावली के वैश्विक स्वरुप का जिक्र करते हुए कहा कि यह विश्व समुदाय को अंधकार से प्रकाश की ओर लाए जाने का एक प्रेरणा उत्सव है।
उन्होने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए इनसे निपटने के लिए प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का आह्वान किया। मोदी ने कहा कि वेद काल से ही भारत में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां 365 दिन, देश के किसी-न-किसी कोने में, कोई-न-कोई उत्सव नज़र आता है। दूर से देखने वाले को तो लगेगा कि जैसे भारतीय जन-जीवन उत्सव का दूसरा नाम है।