नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पंचायतों में ‘सरपंच पति’ संस्कृति समाप्त करने का आह्वान करते हुए गरीबी उन्मूलन तथा शिक्षा के प्रचार प्रसार में निर्वाचित ग्राम प्रतिनिधियों के लिए नेतृत्व वाली भूमिका की वकालत की। सरपंच पत्नियों के कामकाज में पतियों की दखल के बारे में मोदी ने एक राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र किया। उनके अनुसार, किसी ने उनसे कहा कि वह एसपी (सरपंच पति) है।
प्रधानमंत्री ने कहा, एसपी का काम चल रहा है। कानून ने महिलाओं को अधिकार दिए। जब कानून उन्हें अधिकार देता है तो उन्हें अवसर भी मिलना चाहिए। इस एसपी संस्कृति को खत्म करें। उन्हें (महिलाओं को) अवसर दिया जाना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। मोदी ने यहां राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में अपने संबोधन में बच्चों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने पर चिंता जाहिर की और कहा कि इस सिलसिले पर रोक लगाने में पंचायतें अहम भूमिका निभा सकती हैं।
महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत गांवों में बसता है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारे गांवों का विकास कैसे हो। यहां तक कि, सुदूरवर्ती गांव में भी लोगों के बड़े सपने हैं। सोचिए कि अपने गांव के लिए आप अगले पांच साल में क्या हासिल कर सकते हैं। गुजरात में मोदी जब मुख्यमंत्री थे तब एक पूर्ण महिला ग्राम पंचायत गए थे। इसका जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि वहां की सरपंच ने उनसे कहा कि उसका ध्येय यह सुनिश्चित करना है कि गांव में कोई निर्धन न बना रहे।