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हर रोज ढाई हजार किसान छोड़ रहे हैं खेती

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 14 2016 11:24AM | Updated Date: Feb 14 2016 11:24AM
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नई दिल्ली। घाटे का सौदा होने के कारण हर रोज ढाई हजार किसान खेती छोड़ रहे हैं। और तो और देश में अभी किसानों की कोई एक परिभाषा भी नहीं है। वित्तीय योजनाओं में, राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो और पुलिस की नजर में किसान की अलग-अलग परिभाषाएं हैं। ऐसे में किसान हितों से जुड़े लोग सवाल उठा रहे हैं कि कुछ ही समय बाद पेश होने वाले आम बजट में गांव, खेती और किसान को बचाने के लिए क्या पहल होगी।
 
लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता किशन पटनायक ने कहा कि खेती और किसान की वर्तमान दशा के बीच यक्ष प्रश्न यह उठ खड़ा हुआ है कि वास्तव में किसान कौन हैं, किसान की क्या परिभाषा हो? ऐसा इसलिए है कि वित्तीय योजनाओं के संदर्भ में किसान की एक परिभाषा है, तो राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो का कोई दूसरा मापदंड है, पुलिस की नजर में किसान की अलग परिभाषा है... इन सबके बीच किसान बदहाल और परेशान है। 
 
उतार चढ़ाव के बीच कृषि विकास दर रफ्तार नहीं पकड़ रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में कृषि विकास दर 1.2 प्रतिशत थी जो 2013..14 में बढ़कर 3.7 प्रतिशत हुई और 2014..15 में फिर घटकर 1.1 प्रतिशत पर आ गई। पिछले कई वर्षो में बुवाई के रकबे में 18 प्रतिशत की कमी आई है।  
 
विशेषज्ञों के अनुसार, कई रिपोर्टो को ध्यान से देखने पर कृषि क्षेत्र की बदहाली का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो दशकों में भारी संख्या में किसान आत्महत्या कर चुके हैं और अधिकतर आत्महत्याओं का कारण कर्ज है, जिसे चुकाने में किसान असमर्थ हैं। 
जबकि 2007 से 2012 के बीच करीब 3.2 करोड़ गांव वाले जिसमें काफी किसान हैं, शहरों की ओर पलायन कर गए हैं। इनमें से काफी लोग अपनी जमीन और घर-बार बेच कर शहरों में आ गए। 
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