नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सेना की महिला अधिकारियों को तीन महीने के अंदर कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को ट्वीट करके केंद्र सरकार पर निशाना साधा। लेकिन वह इस मुद्दे पर खुद ही फंस गए। राहुल गांधी ने ट्वीट किया- “सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह कह कर महिलाओं का असम्मान किया कि महिला सैनिक कमांड पोस्ट और परमानेंट कमीशन के लायक नहीं हैं, क्योंकि वे पुरुषों से कमजोर हैं। मैं सभी महिलाओं को साथ खड़े होने और भाजपा सरकार को गलत साबित करने के लिए बधाई देता हूं।
राहुल गांधी के इस ट्वीट पर हाईकोर्ट के वकील नवदीप सिंह ने कोर्ट के फैसले पर राजनीति नहीं करने की नसीहत दे डाली। नवदीप सिंह ने राहुल गांधी को याद दिलाते हुए कहा, 'हाईकोर्ट ने भी यही फैसला दिया था और 2010 में तत्कालीन केंद्र सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। कोर्ट के फैसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील देकर हर महिला का अपमान किया है कि महिला सैन्य अधिकारी कमान मुख्यालय में नियुक्ति पाने या स्थायी सेवा की हकदार नहीं हैं क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा सरकार को गलत साबित करने और खड़े होने के लिए भारत की महिलाओं को बधाई देता हूं।
सैन्य अधिकारियों का केस लड़ने वाली वकील और भाजपा नेता मिनाक्षी लेखी तथा हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील नवदीप सिंह ने राहुल गांधी को याद दिलाई कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा नहीं, तत्कालीन यूपीए की सरकार गई थी। नवदीप सिंह ने कहा, 'दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 2010 में कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा, 'कृपया, राहुल गांधी अपने मेमोरी बटन को रिफ्रेश करें। 2010 में केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी, जिसने सेना में महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया था।'