नई दिल्ली। चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप से भारत में कुछ जरूरी दवाओं की किल्लत हो सकती है। उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति अगर दो महीने तक प्रभावित हुई तो भारत में कुछ जरूरी और आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे पैरासिटामोल, आइबूप्रोफेन, कुछ एंटीबायोटिक्स तथा डायबिटिज की दवाओं के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वायरस की वजह से स्मार्टफोन तथा सोलर उपकरणों का उत्पादन तथा आपूर्ति पर पहले से ही प्रभावित है। फिक्की ने कहा है कि भारतीय दवा कंपनियां आमतौर पर कच्चे माल का दो महीने का स्टॉक अपने पास रखती हैं, इसलिए फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर समस्या बनी रही तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है। अगर कोरोना के कारण चीन में शटडाउन फरवरी से आगे बढ़ता है तो भारत में बनी कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
उद्योग के अनुमान के मुताबिक भारत में दवाओं के उत्पादन के लिए 70 फीसदी कच्चा माल चीन से आता है। केंद्र सरकार ने कहा है कि कंपनियों के पास अप्रैल तक दवाओं का भरपूर स्टॉक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय यह सुनिश्चित करने को लेकर एक योजना पर काम कर रहा है कि अगर अगले 15 दिनों तक चीन में लॉकडाउन जारी रहा तो दवाओं की किल्लत नहीं हो इसके लिए उपाय भी किए जाएंगे। सरकार ने कुछ विशेष दवाओं की पहचान की है, जिसकी एपीआई का मुख्य स्रोत हुबेई प्रांत है और यह कोरोना वायरस का केंद्र बिंदु है। इससे जुड़ी कुछ अन्य दवाओं के उत्पादन के लिए 90 फीसदी कच्चा माल चीन से आता है। वहीं टेलिकॉम उपकरणों और कुछ जैविक कंपाउंड जैसे सेगमेंट में भारत 70 फीसदी चीनी आयात पर निर्भर है।