29 Mar 2024, 19:03:10 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

वेलेंटाइन डे पर ‘हीर रांझा’ याद किये गए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 15 2020 12:19AM | Updated Date: Feb 15 2020 12:19AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। प्रेम के अमर प्रतीक ‘हीर राँझा’ की कहानी अपने समय की ‘वेलेंटाइन प्रेम ’की कथा नहीं थी बल्कि वह एक सामाजिक क्रांति की  कथा थी। यही कारण है कि शहीद -ए- आज़म  भगत सिंह भी इस से प्रभावित थे और वह जेल में वारिस शाह को गाते भी थे। पंजाब के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं  सामाजिक कार्यकर्ता सुमेल सिंह सिद्धू ने  वेलेंटाइन डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में वारिस शाह की रचना ‘हीर रांझा’ की नई  व्याख्या करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, वारिस शाह की हीर रांझा 18 वीं सदी की रचना है और उसका पंजाब की  संस्कृति, साहित्य, राजनीति और विचारधारा पर गहरा प्रभाव रहा। दरअसल पंजाब की धरती पर हीर और भगत सिंह ही दो बड़े प्रतीक बन कर उभरे। उनके बिना पंजाब की राजनैतिक चेतना , और   सत्व को नही जाना जा सकता।
 
भगत सिंह जेल में बेड़यिां खनका- खनका कर बुलंद आवाज में वारिस शाह  गाते थे। गदर पार्टी के क्रांतिकारी - राजनैतिक उद्देशय की  इस कविता में बार-बार हीर की कल्पना आजादी के दीदार के रूप में करते रहे। उन्होंने कहा, आजादी के दीवाने हीर की कल्पना देश की आजादी के रूप के रूप में करते रहे। ‘हीर वारिस शाह’ जब लिखी गई तो लोगों की जबान पर इतना चढ़ गई कि गांव में उसकी दीक्षा दी जाती थी। गत दिनों 101 साल की उम्र में मरने वाले पंजाबी के लोकप्रिय साहित्यकार बाबा बोहड़  खुद भी गांव में लोगों को हीर की दीक्षा देते थे। उन्होंने  हीर राँझा पर 'पूर्णमासी ' नाम का उपन्यास भी लिखा जिसे पंजाब के इतिहास में बड़ा उपन्यास माना जाता है।
 
समारोह की आयोजक एवं  दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में हिंदी की प्राध्यापिका डॉ मेधा ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा, आज के दौर में समाज में प्रेम का संदेश फैलाने की जरूरत है क्योंकि चारो तरफ नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं और जाति धर्म का जहर बोया  जा रहा है। स्त्री से प्रेम करने का दावा करने वाले पुरुष उस के खिलाफ आये दिन हिंसा कर रहे हैं। दूसरी तरफ हिंदुत्ववादी ताकते भी वेलेंटाइन डे का विरोध कर रही हैं। प्रेम की इस भावना को समाज में बचाना है। प्रेम का भाव मानवीय भाव है। वह समानता और न्याय तथा सौहार्द का प्रतीक है। यह आयोजन हीर राँझा के जरिये उस सन्देश को फैलाने के लिए किया गया है।’’ कार्यक्रम के प्रारंभ में हिंदी एवं पंजाबी के  साहित्यकार गिरिराज किशोर जसवंत सिंह कंवल और कृष्ण बलदेव वैद की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। कार्यक्रम में  साहित्य, संस्कृति और राजनीति क्षेत्र की कई हस्तियां मौजूद थीं। 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »