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‘उम्मीदवारों के चयन में केवल सीट जीतने की क्षमता ही पैमाना न हो’: उच्चतम न्यायालय

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 14 2020 12:55AM | Updated Date: Feb 14 2020 12:55AM
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण पर अंकुश की कवायद के तहत  गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाते हुए राजनीतिक दलों को गुरुवार को निर्देश दिया कि वे आपराधिक पृष्­ठभूमि वाले उम्­मीदवारों की सूची और चयन का कारण अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करें। न्यायालय ने यह भी कहा कि केवल सीट जीतने की क्षमता को पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय और रामबाबू ठाकुर की अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया।
 
न्यायालय ने इन निर्देशों का पालन नहीं किए जाने पर चुनाव आयोग को इस बात की अनुमति दी है कि वह राजनीतिक दलों के खिलाफ यह जानकारी न्यायालय को अवगत कराए। राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए न्यायालय ने राजनीतिक दलों के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं। न्यायालय ने कहा कि पिछले चार आम चुनावों में राजनीति में अपराधीकरण तेजी से बढ़ा है। इसके अनुसार, यदि राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट दिया जाता है तो उसका आपराधिक विवरण पार्टी की वेबसाइट पर और सोशल मीडिया पर देना होगा। साथ ही ,उन्­हें यह भी बताना होगा कि किसी बेदाग को टिकट क्यों नहीं दिया गया।
 
शीर्ष अदालत ने उम्मीदवारों पर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी अखबारों, न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर भी नामांकन क्लीयर होने के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित करने को कहा है। साथ ही चुनाव आयोग को भी इस रिकॉर्ड को 72 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया। यदि राजनीतिक पार्टी ऐसा नहीं करती है तो चुनाव आयोग इसकी जानकारी शीर्ष अदालत को देगा। 
 
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