गुवाहाटी असम। असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि असम सरकार द्वारा संचालित मदरसों और संस्कृत स्कूलों को हाई स्कूल और हाईअर सेकेंडरी स्कूलों में बदला जाएगा। क्योंकि राज्य धार्मिक संस्थानों को धन नहीं दे सकता है।
सरमा ने कहा कि हमने कि सरकार द्वारा संचालि मदरसों और संस्कृत स्कूलों को हाई स्कूल और हाईअर सेकेंडरी स्कूलों को धार्मिक संस्थानों में बदलने का फैसला किया है। क्योंकि राज्य सरकार धार्मिक संस्थानों को फंड नहीं दे सकता है। हलांकि एनजीओ या सामाजिक संगठनों द्वारा चलाए जा रहे मदरसे पहले की तरह चलते रहेंगे लेकिन रेगुलेटरी ढांचे के तहत।
साथ ही उन्होंने कहा कि हम एक कानून ला रहे हैं जहां मदरसे भी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत काम करेंगे। उन्हें अपने छात्रों की संख्या का खुलासा करना होगा और धार्मिक विषय के साथ सामान्य विषयों को भी अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा। यह नियम सामान्य मदरसों के लिए है, जो चलाए जा रहे हैं।'
असम के नेशनल रिजस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) लिस्ट के आंकड़ों के बारे में पूछे जाने पर जो आधिकारिक वेबसाइट से ऑफलाइन हो गए। इस पर सरमा ने कहा कि गड़बड़ के पीछे का कारण पेमेंट मुद्दा है। बिस्वा ने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है। कुछ पेमेंट मामले है। सर्विस प्रोवाइडर ने डेटा हटा दिया है। मैंने एनआरसी कॉर्डिनेटर से बात की है और उन्होंने कहा कि सभी डेटा सुरक्षित हैं। सिर्फ पेमेंट के मामले हैं और इस पर काम कर रहे हैं।
राज्य के लिए एनआरसी की आखिरी लिस्ट प्रकाशित की गई थी, जिसमें 19,06,657 व्यक्तियों को बाहर रखा गया था। इस लिस्ट में वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने अपने दावे पेश नहीं किए थे। पिछले साल 31 अगस्त को अंतिम लिस्ट जारी होने के बाद, एनआरसी में बोनफाइड इंडियन सिटिजन को शामिल करने और बाहर करने का पूरा विवरण - 'www.nrcassam.nic.in' पर अपलोड किया गया था।