नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को विपक्ष पर कटाक्ष करते हुये कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कांग्रेस नीति संप्रग सरकार के ‘योग्य डॉक्टरों’ की नीतियों का खामियाजा भुगत रही है, लेकिन मोदी सरकार द्वारा किये गये उपायों से अब यह पटरी पर आ गयी है। सीतारमण ने पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में बजट पर सामान्य चर्चा का जबाव देते हुये आज विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने निजी तथा सार्वजनिक निवेश, उपभोग और निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने पर्याप्त उपाय किये हैं और अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक इसमें सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं।
उन्होंने दोनों सदनों को आश्वस्त किया कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में किसी भी सेक्टर के आवंटन में कटौती नहीं की गयी है। राज्यसभा में चर्चा के दौरान पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा मोदी सरकार के कार्यकाल में ‘अयोग्य डॉक्टरों’ द्वारा अर्थव्यवस्था को ‘आईसीयू’ में पहुँचाने की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा ‘‘आपने 2008-09 में जो उपाय किये थे उसका बोझ हम उठा रहे हैं। निदान में क्या गड़बड़ी हुई जिससे चालू खाता और वित्तीय घाटा दोनों बढ़ गया? बैंकों का एनपीए बढ़ा। ...इससे सबके बावजूद ‘योग्य डॉक्टर’ आप थे।’’ संप्रग सरकार तथा मोदी सरकार के कार्यकाल के आर्थिक आँकड़े देते हुये कहा कि अभी अर्थव्यवस्था में तेजी के पुख्ता संकेत मिल रहे हैं।
हर योजना तथा हर विभाग के लिए आवंटन में बढ़ोतरी की गयी है। किसी भी योजना और विभाग के आवंटन में कमी नहीं की गयी है। पूँजीगत व्यय में बढ़ोतरी की गयी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के सात महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई), औद्योगिक गतिविधियाँ, विनिर्माण पीएमआई, विदेशी मुद्रा भंडार, जीएसटी संग्रह और शेयर बाजार। ये सभी अर्थव्यवस्था में सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में विदेशी निवेश बढ़ा है, विनिर्माण क्षेत्र ने गति पकड़ी है, दो महीने गिरने के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में लगातार वृद्धि हुई है और शेयर बाजार का ग्राफ ऊपर की तरफ जा रहा है।
वित्त मंत्री ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि इस बजट में माँग बढ़ाने के उपाय नहीं किये गये हैं और यह वर्ष 2024 तक देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने वाला बजट नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘‘वित्त वर्ष 2014-15 में देश की अर्थव्यवस्था का आँकड़ा 20 खरब डॉलर था जो 2018-19 में बढ़कर 27 खरब डॉलर पर पहुँच गया। चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 29 खरब डॉलर की हो गयी है और इस रफ्तार से हम 50 खरब डॉलर पर पहुँच जायेंगे।’’
सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2003-04 में वाजपेयी सरकार द्वारा किये गये उपायों और उठाये गये कदमों के कारण संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था बेहतर रही थी, लेकिन 2008-09 में जो उपाय किये थे उसका बोझ अभी मोदी सरकार ढो रही है। उन्होंने कहा कि उस दौरान जो उपाय किये गये उसके कारण चालू खाता घाटा और वित्तीय घाटा दोनों में बढोतरी हुयी। बैंकों द्वारा लाखों करोड़ रुपये के ऋण दिलाये गये जो गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गये। लेकिन मोदी सरकार न सिर्फ उस एनपीए की वसूली कर रही है बल्कि ऋण लेकर विदेश भागे लोगों को भी स्वदेश ला रही है।
संप्रग सरकार के कार्यकाल में महँगाई - विशेषकर खाद्य महँगाई - दहाई अंकों में पहुँच गयी थी। लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में यह लक्षित दायरे में रही है। संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में एफआरबीएम का कई बार उल्लंघन किया गया। इतना ही नहीं आँकड़ों और अकाउंट के साथ घालमेल किया गया। संप्रग सरकार ने 1.40 लाख करोड़ के तेल बॉन्ड जारी किये जिस पर अभी भी करीब एक हजार करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना पड़ रहा है जो सरकारी देनदारी थी उसे बड़ी चालाकी से तेल विपणन कंपनियों पर डाल दिया गया। तेल विपणन कंपनियों को तेल सब्सिडी का भुगतान करना पड़ता था, लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही इसे बंद कर दिया।