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संप्रग के ‘योग्य डॉक्टरों’ की नीतियों का बोझ ढो रही है सरकार : सीतारमण

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 11 2020 7:31PM | Updated Date: Feb 11 2020 7:48PM
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस नीति संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की आर्थिक नीतियों पर कड़ा प्रहार करते हुये कहा कि उसके ‘योग्य डॉक्टरों’ के कारण ही हम आज तक उसका खामियाजा भुगत रहे हैं और मोदी सरकार ने उसे सुधारने के लिए जो जमीनी स्तर पर उपाय किये हैं उससे अर्थव्यवस्था में तेजी के पुख्ता होने के अब संकेत मिलने लगे हैं। सीतारमण सदन में बजट पर 12 घंटे तक चली सामान्य चर्चा का जबाव दे रही थीं।

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा मोदी सरकार के कार्यकाल में ‘अयोग्य डॉक्टरों’ द्वारा अर्थव्यवस्था को ‘आईसीयू’ में पहुँचाने की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया की और संप्रग सरकार तथा मोदी सरकार के कार्यकाल के आर्थिक आँकड़े देते हुये कहा कि अभी अर्थव्यवस्था में तेजी के पुख्ता संकेत मिल रहे हैं और हर योजना तथा हर विभाग के लिए आवंटन में बढ़ोतरी की गयी है। किसी भी योजना और विभाग के आवंटन में कमी नहीं की गयी है। पूँजीगत व्यय में बढ़ोतरी की गयी है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2003-04 में वाजपेयी सरकार द्वारा किये गये उपायों और उठाये गये कदमों के कारण संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था बेहतर रही थी, लेकिन 2008-09 में जो उपाय किये थे उसका बोझ अभी मोदी सरकार ढो रही है। उन्होंने कहा कि उस दौरान जो उपाय किये गये उसके कारण चालू खाता घाटा और वित्तीय घाटा दोनों में बढोतरी हुयी। बैंकों द्वारा लाखों करोड़ रुपये के ऋण दिलाये गये जो गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गये।

लेकिन मोदी सरकार न सिर्फ उस एनपीए की वसूली कर रही है बल्कि ऋण लेकर विदेश भागे लोगों को भी स्वदेश ला रही है। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में महँगाई - विशेषकर खाद्य महँगाई - दहाई अंकों में पहुँच गयी थी। लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में यह लक्षित दायरे में रही है। संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में एफआरबीएम का कई बार उल्लंघन किया गया। इतना ही नहीं आँकड़ों और अकाउंट के साथ घालमेल किया गया।

संप्रग सरकार ने 1.40 लाख करोड़ के तेल बॉन्ड जारी किये जिस पर अभी भी करीब एक हजार करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना पड़ रहा है जो सरकारी देनदारी थी उसे बड़ी चालाकी से तेल विपणन कंपनियों पर डाल दिया गया। तेल विपणन कंपनियों को तेल सब्सिडी का भुगतान करना पड़ता था, लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही इसे बंद कर दिया। 

 
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