जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार ने अगस्त के महीने में अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। इसके बाद से वहां कई तरह की पाबंदियां भी लगाईं गईं ताकि स्थिति काबू में रहे। इसके बाद से ही वहां पर पुलिस की ओर से कश्मीरियों पर अत्याचार के आरोप लगते रहते हैं। ये आरोप कांग्रेस से लेकर विपक्षी दल लगा चुके हैं। इस हालात का सच जानने के लिए कई देशों के राजदूत जम्मू कश्मीर पहुंचे।
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद विदेशी राजनयिकों की पहली ऐसी यात्रा के तहत इस शुक्रवार को अमेरिका समेत 15 देशों के दूतों ने जम्मू कश्मीर की नागरिक संस्थाओं के सदस्यों से बातचीत की और इस दल को मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय दल ने स्थिति से अवगत कराया।
भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने कहा है कि उन्हें इसी सप्ताह जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा पर गए राजनयिकों के समूह का हिस्सा बनने के लिये भारत सरकार की ओर से निमंत्रण नहीं मिला था। उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'मुझे इस टीम का हिस्सा बनने का आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला. यह निजी यात्रा नहीं थी। मेरे साथियों को निमंत्रण मिला था. यात्रा करना उनका स्वतंत्र फैसला था. यदि मुझे मिलता तो मैं उसपर विचार करता है।