कानपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की मुखालफत कर रहे समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरूवार को दोहराया कि काले कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुयी हिंसा की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराने पर ही पुलिस की भूमिका सार्वजनिक हो सकती है। कानपुर में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुयी हिंसा में मारे गये युवकों के परिजनो से श्री यादव ने उनके बाबुपुरवा क्षेत्र स्थित आवास पर मुलाकात की और उन्हे ढाढस बंधाते हुये यथासंभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होने कहा कि हिंसा के दौरान पुलिस द्वारा की गयी गोलीबारी की जांच होनी चाहिये। उन्होने कहा आप लोग बताइए कि कुछ ही जिलों में हिंसा क्यों हुई और पुलिस ने गोली क्यों चलाई, इसकी भी जांच होनी चाहिये। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जिन लोगों की मौत हुई, उन्हें पुलिस की गोली ही लगी थी।
जिन इलाकों में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में लोगों की मौत हुई है,वहां सुप्रीम कोर्ट के जज से जांच करा ली जाए.इस जांच में पता चल जाएगा कि कौन दोषी है। सीसीटीवी कैमरों में सारी घटना कैद है। उससे खुद ब खुद पता लग जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस और शासन की नाकामी की वजह से इस तरह की घटनाएं हुईं है। दरअसल, भाजपा सरकार सीएए के जरिये देश को धर्म और जाति के नाम पर बांटने का काम कर रही है और अंग्रेजों के नक्शेकदम पर ‘बांटों और राज करो’ की नीति अपना रही है। गौरतलब है कि 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद बाबूपुरवा में हुई हिंसा में 23 वर्षीय मोहम्मद सैफ, 22 वर्षीय आफताब आलम और 30 वर्षीय रईस खान की मौत हो गई थी जबकि दस अन्य लोग घायल हो गए थे।