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2020 में आरपीएफ को मिलेंगे आईपीसी में कार्यवाही के अधिकार : महानिदेशक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 8 2020 12:28AM | Updated Date: Jan 8 2020 12:29AM
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नई दिल्ली। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को इस साल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अंतर्गत अपराधियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही का अधिकार मिलने की संभावना है। इसके साथ ही आरपीएफ की प्रभावशीलता बढ़ेगी और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) पर उसकी निर्भरता कम होगी। आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने यहां संवाददाताओं को बताया कि रेल सुरक्षा बल अधिनियम में बदलाव करने के लिए गृह मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, कानून मंत्रालय आदि सभी संबंधित मंत्रालयों की अनापत्ति प्रमाणन संबंधी स्वीकृति मिल चुकी है। अब इस बारे में संशोधन विधेयक को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक इसी साल संसद की मंजूरी मिल सकती है।

उन्होंने बताया कि आरपीएफ को मुख्य रूप से रेलवे का अथवा यात्रियों का सामान चोरी होने, बुक सामान या पार्सल के चोरी होने, जहरखुरानी या खाने में नशीला पदार्थ मिला कर यात्री को बेहोश करके उसे लूटने, नशीले पदार्थों की तस्करी, बच्चों या महिलाओं की तस्करी, चलती ट्रेन में डकैती आदि की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कानूनी अधिकार मिल जाएंगे जिससे आरपीएफ अपराधी को गिरफ्तार करके अदालत में पेश कर सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे रेलवे की राज्यों के जीआरपी बल पर निर्भरता कम होगी और सुरक्षा की एक कमान होने से रेलवे के अधिकार क्षेत्र में कानून-व्यवस्था अधिक पुख्ता होगी। कुमार ने बताया कि रेलवे में बीते साल 2019 में 1121 उपनिरीक्षकों और 8543 कांस्टेबलों की भर्ती हुई जिनमें 4068 महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि आरपीएफ में करीब 4000 महिला कांस्टेबल पहले से ही हैं। इस भर्ती के बाद आरपीएफ ऐसा पहला बल हो जाएगा जिसमें दस प्रतिशत महिलाएं होंगी।

आरपीएफ की कुल ताकत करीब 80 हजार है। उन्होंने बताया कि रोजÞाना चलने वाली करीब 12600 गाड़यिों में से करीब 4500 गाड़यिों में एस्कॉर्ट चलते हैं। आने वाले दिनों में अधिक गाड़यिों एस्कॉर्ट तैनात किये जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (रेलवे) द्वारा विकसित मोबाइल एप्लीकेशन को रेलवे में आधिकारिक रूप से अपनाया जा रहा है। इसके बाद चलती ट्रेन में भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराना संभव हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि आरपीएफ की एक बटालियन को कोरस कमांडो बल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस कमांडो बल को एनएसजी की तर्ज पर प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें आरंभ में छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के नक्सली हिंसा प्रभावित इलाकों, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में तैनात किया गया है।

कुमार ने बताया कि आरपीएफ में पहले कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल बनने में 20 से 25 साल लग जाते थे। इस बीच उन्हें मॉडीफाइड एश्योर्ड कैरियर प्रोमोशन (एमएसीपी) -1 और एमएसीपी-2 दिये जाते थे। बीते साल जिन लोगों को एमएसीपी-1 मिल चुका है और एक फीता और जिन्हें एमएसीपी-2 मिल चुके हैं, उन्हें दो फीता अतिरिक्त लगाने के आदेश जारी किये जा चुके हैं। राजपत्रित अधिकारियों को भी पदोन्नतियां प्रदान की गयी हैं। इसी प्रकार से रेल सुरक्षा कल्याण निधि की राशि बढ़ायी गयी है। आरपीएफ कर्मी की मौत होने की दशा में पांच लाख रुपए की बजाय 15 लाख रुपए दिये जाएंगे। वर्ष 2019 में आरपीएफ की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि आरपीएफ ने फर्जी ढंग से टिकट बुकिंग करने के रैकेट के विरुद्ध सघन कार्रवाई में 3819 मुकदमे दर्ज कराये गये और 4235 लोगों को गिरफ्तार कराया गया है।

17356 आईडी ब्लॉक करके छह करोड़ 35 लाख 70, 994 रुपए के टिकट जब्त किये गये। बल के जवानों ने 405 लोगों की जान बचायी और 16 हजार 457 बच्चों को बचाया। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सक्रियता से काम करते हुए करीब छह हजार मामले दर्ज किये और 7151 लोगों को गिरफ्तार किया। करीब 12 करोड़ 83 लाख 65 हजार रुपए के नशीले पदार्थों को जब्त किया और 427 तस्करों को पकड़ा। इसरो के उपकरणों की मदद से मालगाड़यिों से जाने वाले करीब 24 लाख रुपए मूल्य की पेट्रोलियम एवं कोयला की चोरी रोकी। इसके अलावा वंदे भारत एक्सप्रेस सहित रेलवे की संपत्ति पर पथराव की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए काम किया और 404 लोगों को गिरफ्तार किया। 

 
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