नई दिल्ली। सरकार ने आज संसद में कहा कि इस साल प्याज की 69.9 लाख टन पैदावार का अनुमान था लेकिन बदली परिस्थितियों में 53.73 लाख टन उत्पादन की संभावना है। सरकार इस 15.88 लाख टन प्याज की कमी को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यहां लोकसभा में विभिन्न कारणों से फसलों को होने वाले नुकसान और किसानों पर इसके प्रभाव के बारे में नियम 193 के अधीन चर्चा का उत्तर देते हुए यह बात कही। श्री तोमर ने कहा कि देश में प्याज का उत्पादन तीन मौसमों में होता है। सर्वाधिक 70 प्रतिशत रबी में, 20 प्रतिशत खरीफ में तथा बीच में करीब दस प्रतिशत उत्पादन होता है।
उन्होंने कहा कि 2019 के अग्रिम आकलन में 69.9 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था लेकिन मौसम में गड़बड़ी के कारण अब 53.73 लाख टन पैदावार की संभावना है। उन्होंने कहा कि इससे 15.88 लाख टन की कमी की भरपाई करने के लिए सरकार विभिन्न उपाय कर रही है।
उन्होंने मानसून के शुरुआती दिनों और आखिरी दिनों में अत्यधिक वर्षा के कारण फसलों को नुकसान हुई है । क्षति की भरपाई के लिए किसान फसल बीमा योजना के तहत भुगतान और राष्ट्रीय आपदा राहत बल और राज्य आपदा राहत बल द्वारा भुगतान किये जाने की भी जानकारी दी।
फसल बीमा योजना को लेकर शिकायतों के बारे में कृषि मंत्री ने कहा कि योजना का मॉडल एक ही प्रकार का है। इसी में कहीं कम और कहीं ज्यादा लाभ होता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार पाम आॅयल के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि देश में खेती मुख्य व्यवसाय है जो मुख्यत: प्रकृति पर निर्भर करती है। अच्छी खाद, अच्छे बीज और पर्याप्त पानी की व्यवस्था करने के बावजूद भी बरसात, आंधी, तूफान आदि कारणों से खेती बरबाद हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुमान के मुताबिक विभिन्न कारणों से विश्व में हर साल करीब 75 करोड़ टन का फसलें नष्ट हो रहीं हैं। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने किसानों के लिए खेती के अलग अलग जलवायु के लिए अलग अलग 45 मॉडल विकसित किये हैं। नवान्वेषी तकनीक से साढ़े चार करोड़ से अधिक किसानों को मोबाइल पर मैसेज द्वारा मौसम की जानकारी दी जाती है। एक टोल फ्री नंबर भी शुरू किया गया है।