नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ को संविधान की भावना के प्रतिकूल बताते हुये सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लाभ के लिए देश को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन और बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाये गये संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सत्ता पक्ष में इस विधेयक को लेकर उत्तेजना का माहौल है और पूरा देश उसकी इस विभाजनकारी उत्तेजना को समझ रहा है।
हमारे संविधान में सभी नागरिकों के लिए बराबरी की बात कही गयी है लेकिन यह विधेयक बराबरी के अधिकार से लोगों को वंचित करता है। उन्होंने कहा कि भारत का निर्माण पंथ निरपेक्षता के आधार पर हुआ है लेकिन इस विधेयक में सिर्फ कुछ ही धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता पाने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में विरोधाभास है और सरकार को इसकी विसंगतियों को दूर करके सभी नागरिकों को समान बनाये रखने के संवैधानिक अधिकारों का अनुपालन करते हुए इस विधेयक को फिर से लाना चाहिए।
तिवारी ने इस विधेयक को सरकार की ‘‘बहुत बड़ी भूल’’ करार दिया और कहा कि शरणार्थियों को बराबरी की निगाह से देखना भारतीय परंपरा है और इस विधेयक को नये सिरे से तैयार कर सरकार को देश की इस परंपरा का निर्वहन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि सबको बराबरी का अधिकार देना हमारा फर्ज होना चाहिये और शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम उनके धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र अग्रवाल ने विधेयक को संविधान का उल्लंघन बताने के विपक्ष के आरोप को गलत बताया और कहा कि विभाजन के समय जो दहलाने वाली हिंसा हुई है उसे याद रखा जाना चाहिये और पड़ासी मुल्कों में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का बर्ताव हो रहा है इसको ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है।
उन्होंने कहा कि घुसपैठिये को शरणार्थी नहीं कहा जा सकता है। देश तथा देश के नागरिकों को नुकसान पहुँचाने के मकसद से जो देश में आये उसे शरणार्थी नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कांग्रेस पर अवसर के हिसाब से शरणार्थी की परिभाषा गढ़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोगों को याद करना चाहिए कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश में शरणार्थियों को न्याय देने की बात की थी। यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि शरणार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिये और इसलिए कांग्रेस को इसका विरोध नहीं करना चाहिए। द्रविड मुन्नेत्र कषगम के दयानिधि मारन ने कहा कि धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए। मुसलमान शरणार्थियों को भी नागरिकता का अधिकार देने की माँग करते हुये उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में यदि हिंदू या अन्य अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय होता है तो भारत में उसकी तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि भारत इस क्षेत्र में एक सुपर पावर है।