बंगलूरू। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) सितंबर 2019 में पहली बार में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने में असफल रहा। अब जल्द ही इसरो चंद्रयान 3 को चंद्रमा की तरफ रवाना कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। बता दें कि सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 के लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई।
हालांकि ऑर्बिटर काम कर रहा है और वैज्ञानिकों को कहना है कि यह सात साल तक भलीभांति काम करता रहेगा। इसरो ने कई समितियां बनाई हैं और पैनल के साथ तीन सब कमिटियों की अक्टूबर से लेकर अब तक तीन हाई लेवल मीटिंग हो चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक इस मिशन में केवल लैंडर और रोवर ही होगा। यानी इसमें ऑर्बिटर नहीं भेजा जाएगा क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है। मंगलवार को चंद्रयान-3 मिशन के लिए ओवरव्यू कमिटी की बैठक हुई।
इसमें सब कमिटियों की सिफारिशों पर चर्चा हुई। सब कमिटियों ने संचालन शक्ति, सेंसर, इंजिनियरिंग और नेविगेशन को लेकर अपने प्रस्ताव दिए हैं। एक वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रयान-3 का काम पूरी गति से चल रहा है। अब तक इसरो ने 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं का खाका खींच दिया है। इसमें लैंडिग साइट, लोकल नेविगेशन शामिल है। सूत्रों ने बताया कि 5 अक्टूबर को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया गया है। इसमें कहा गया है, 'यह जरूरी है कि चंद्रयान-2 की एक्सपर्ट कमिटी द्वारा दी गई सिफारिशों पर ध्यान देकर लैंडर में बदलाव करने और इसमें सुधार करने की दिशा में काम किया जाए।
एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि नए मिशन में लैंडर के लेग्स मजबूत किए जाएंगे जिससे की तेज गति से उतरने पर भी वह क्रैश न हो। सूत्रों ने बताया कि इसरो नया रोवर और लैंडर बनाने जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी लैंडर के वजन और इसमें लगाए जाने वाले उपकरणों के बारे में फाइनल डिसिजन नहीं लिया गया है।