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गैर-कानूनी रूप से गिरायी गयी थी बाबरी मस्जिद : उच्चतम न्यायालय

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 9 2019 3:02PM | Updated Date: Nov 9 2019 3:02PM
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में शनिवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये कहा कि 06 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का गिराया जाना ‘‘गैरकानूनी’’ था तथा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिये थी। अदालत ने इसी आधार पर मुस्लिम संप्रदाय के पक्षकारों को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पाँच एकड़ भूमि आवंटित करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि संविधान की धारा 142 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुये पूर्व में की गयी गलतियों को सुधारना इस अदालत की जिम्मेदारी है। यदि अदालत मुस्लिम समुदाय की पात्रता की अनदेखी करती है, जिन्हें कानून का पालन करने वाले धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के लिए अनुचित माध्यमों से उनके मस्जिद के ढाँचे से वंचित कर दिया गया था, तो यह न्याय नहीं होगा। संविधान पीठ ने आगे कहा ‘‘...उनके पूजा के स्थान के गैरकानूनी विध्वंस के लिए मुस्लिम समुदाय को क्षतिपूर्ति देनी जरूरी है। मुसलमानों को दी जाने वाली राहत की प्रकृति का आँकलन करने के बाद हम सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पाँच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश देते हैं। यह जमीन केंद्र सरकार अधिगृहित भूमि में से या उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार अयोध्या शहर की सीमा में दे सकती है।
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