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पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान नहीं तो फिर रेप कैसा हुआ?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 22 2019 4:07PM | Updated Date: Oct 22 2019 4:07PM
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नई दिल्‍ली। रेप के दौरान पीड़िता के शरीर पर अगर किसी चोट के निशान नहीं हैं तो इसका मतलब ये नहीं हो सकता कि उसका बलात्‍कार नहीं हुआ है। मद्रास हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इसके साथ ही निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए हाईकोर्ट ने दोषी को 10 वर्ष सश्रम कारावास और पॉक्सो कानून के तहत सात साल सश्रम कैद की सजा कायम रखी।
 
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के एक आदेश को बरकरार रखते हुए यह बात कही, जिसमें एक व्यक्ति को IPC के तहत 10 साल के सश्रम कारावास और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (Pocso Law, 2012) के तहत सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस एस वैद्यनाथन ने आरोपी के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि किसी भी शारीरिक हिंसा की स्थिति में जो व्यक्ति हिंसा का शिकार हुआ है, उसे शारीरिक चोट लगी होगी, जिसके अभाव में ये नहीं कहा जा सकता है कि पीड़ित का यौन उत्पीड़न हुआ। 
 
निचली अदालत से रेप का दोषी करार दिए जाने के बाद आरोपी के वकील ने यह तर्क देते हुए याचिका दाखिल की थी कि लड़की के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे। अत: यह साबित नहीं होता कि लड़की यौन प्रताड़ना का शिकार हुई है। हाई कोर्ट ने वकील के इस तर्क को अपमानजनक बताते हुए कहा कि यौन प्रताड़ना के मामले में शरीर पर चोट के निशान जरूरी नहीं, यदि पीड़िता नाबालिग है।
 
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