नई दिल्ली। अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की कवायद को शुक्रवार को उस वक्त फिर झटका लगा जब सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने घोषणा की कि वे विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से आज जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्हें किसी तरह का समझौता मंजूर नहीं है। मुस्लिम पक्ष ने मध्यस्थता की जानकारी सार्वजनिक होने पर आपत्ति भी जताई। मुस्लिम पक्षकारों ने एक संयुक्त बयान जारी करके मध्यस्थता समिति के सदस्य श्रीराम पंचू की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पहले चरण की मध्यस्थता विफल होने के बाद मुस्लिम पक्षकारों ने मध्यस्थता में जाना बन्द कर दिया था।
दूसरे चरण की मध्यस्थता में सिर्फ सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारुकी, निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास और हिन्दू महासभा के चक्रपाणि गए थे। मध्यस्थता में दिए गए प्रस्ताव की जानकारी इन्हीं लोगों को थी, या फिर मध्यस्थता समिति को। बयान में कहा गया है कि ऐसे में मध्यस्थता से जुड़ी जानकारी कैसे सार्वजनिक हुई। यह बात प्रेस में कैसे लीक हुई कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा छोड़ने को तैयार हो गया है। बोर्ड को छोड़कर अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने इसे अदालत की अवमानना बताया है। बयान में कहा गया है कि मध्यस्थता पैनल का गठन करते हुए न्यायालय ने सख्त आदेश दिये थे कि इससे जुड़ी कोई भी जानकारी लीक नहीं होनी चाहिए।