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फेक न्यूज से मीडिया की विश्वसनीयता पर खतरा: वेंकैया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 7 2019 12:49AM | Updated Date: Oct 7 2019 12:50AM
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कटक। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि फर्जी खबरों की बढ़ती समस्या के कारण मीडिया की विश्वसनीयता पर खतरा मंडराने लगा है। नायडू ने प्रमुख उड़यिा दैनिक ‘समाजा’ के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए मीडिया से फर्जी खबरों से प्रभावी तरीके से निपटने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘हम तेजी से बढ़ रहे सोशल मीडिया के युग में रह रहे हैं जिसका एक सह उत्पाद फर्जी खबरें हैं। उन्होंने मीडिया से फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने और पैसे लेकर खबर प्रकाशित-प्रसारित करने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाने का आव्हान किया। उप राष्ट्रपति ने कहा कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया न केवल स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा है, बल्कि एक अनिवार्य शर्त भी है। उन्होंने कहा कि मीडिया को लोकतांत्रिक प्रणाली का चौथा स्तंभ माना जाता है- एक ऐसा स्तंभ जो लोकतंत्र का समर्थन, पालन और पोषण करता है और आवश्यक होने पर सुधार करने में मदद करता है।

उन्होंने कहा कि मीडिया को लोगों को सूचित, शिक्षित और प्रबुद्ध करना चाहिए क्योंकि जनता की राय बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि मीडिया को नागरिकों को सशक्त बनाना चाहिए और शासन प्रणाली में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की शुरुआत करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया को नागरिकों की आवाज आगे बढ़ानी चाहिए और उनके विचारों को कानूनविदों तक पहुंचाना चाहिए। नायडू ने मीडिया से लोकतांत्रिक प्रणाली में खामियों को उजागर करने का आग्रह किया ताकि सरकार को प्रणाली को अधिक जवाबदेह, उत्तरदायी और नागरिक-अनुकूल बनाने में मदद मिले। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मीडिया के बिना लोकतंत्र बिना पहिये के वाहन के समान है।

नायडू ने मीडिया से सनसनीखेज प्रवृत्ति को दूर करने और बिना समाचार तथा विचारों को मिलाये तथ्­यों को प्रस्­तुत करने की अपील करते हुए का कि टीआरपी, सर्कुलेशन के आंकड़े और बॉटम लाइन, हालांकि महत्वपूर्ण हैं पर इससे मीडिया का मार्ग नहीं तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया को अपनी सभी गतिविधियों के केंद्र में आम आदमी के कल्याण और राष्ट्र की प्रगति को स्थान देना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने मीडिया को स्थापित पूर्वाग्रहों से छुटकारा पाने और युवाओं, महिलाओं, किसानों और उद्यमियों की उम्मीदों की आवाज बनने को कहा। उन्­होंने कहा कि मीडिया को समाज के नैतिक कम्पास और विवेक के रूप में कार्य करना चाहिए और सभी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए आक्रामक अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह इसे बेजुबानों की आवाज बननी चाहिए और असहायों की सहायता करनी चाहिए।

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