नई दिल्ली। इस बार दीपावाली पर देश भर में कम प्रदूषण वाले हरित पटाखे (ग्रीन क्रैकर्स) उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के लिए उपलब्ध रहेंगे जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय की ओर से वर्ष 2017 में पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद इस तरह के पटाखों को बनाने के बारे में सोचा गया और इसी दिशा में काम करते हुए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने हरित पटाखों के विकास में अहम भूमिका निभाई। इस चुनौतीपूर्ण कार्य में सीएसआईआर की आठ सहयोगी प्रयोगशालाओं ने भी सहयोग दिया।
उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के पटाखों के बारे में फार्मूलेशन के बाद पटाखा उत्पादकों ने इसी आधार पर पटाखे बनाए हैं और पटाखा उत्पादको के साथ लगभग 230 आपसी सहमति पत्रों और 165 नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट्स(एनडीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। डॉ हर्षवर्धन ने पटाखा उत्पादकों से सीएसआईआर की तरफ से सुझाए गए फार्मुलेशन के आधार पर पटाखे बनाने और बाजार में उतारे जाने से पहले इनकी जांच तथा उत्सर्जन स्तर की सीएसआईआर-राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण शोध संस्थान (एनईईआरआई) की मान्यता प्राप्त एनएबीएल प्रयोगशालाओं में जांच कराने का आग्रह भी किया।
इन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम आदि हैं। इस अवसर पर सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांदे ने बताया कि सीएसआईआर के लिए हरित पटाखों के बारे में फार्मूलेशन तैयार करना और इस तरह के पटाखों की परिभाषा को तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा है ताकि ऐसे पटाखों से कम से कम उत्सर्जक तत्व वातावरण में छूटें। सीएसआईआर ने ग्रीन पटाखों के लिए बेंचमार्क के लिए तकनीकी कानूनी और नीतिगत हस्तक्षेप में अपनी तरफ से योगदान दिया और पारंपरिक पटाखों तथा हरित पटाखों में बेरियम के स्तर की जांच की।
इस मौके पर एनईईआरआई के निदेशक डॉ राकेश कुमार ने बताया कि ग्रीन पटाखों के विकास में द्विस्तरीय प्रकिया अपनाई गई और सीएसआईआर के साथ मिलकर उनके संस्थान ने पांरपारिक पटाखों में इस्तेमाल होने वाले बेरियम नाईट्रेट के स्तर की जांच कर ग्रीन पटाखों के लिए एक नया मानक अपनाया। इस विधि से ग्रीन पटाखों में 30 से लेकर 90 प्रतिशत बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कम किया गया और कईं पटाखों में यह बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
इन पटाखों में ऑक्सीडेंट के तौर पर पोटेशियम नाईट्रेट का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने बताया कि हरित पटाखे बनाने वाली इकाइयों को नयी एवं संशोधित विधियों को पूरा कर एक निश्चित बेंचमार्क तक पटाखे बनाने के लिए 530 उत्सर्जन प्रमाणपत्र दिए गए हैं। सीएसआईआर की मुख्य वैज्ञानिक डॉ साधना रायालु और उनकी टीम ने इस दौरान हरित पटाखों के बारे में बताया कि इन पर एनईईआरआई का हरित ‘लोगो’ और एक क्यूआर कोड है जो इनकी पहचान है। इस कोड की जांच करके इनकी असलियत का पता लगाया जा सकता है।