श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 और 35ए समाप्त किये जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद से 10 लाख से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया है। केंद्र सरकार ने राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने से पहले पर्यटकों, अमरनाथ यात्रियों और कर्मचारियों समेत सभी बाहरी लोगों को अपने-अपने घरों को लौट जाने को कहा था। एनआईटी श्रीनगर समेत विभिन्न पेशेवर कॉलेजों के छात्रों को भी घर लौट जाने को कहा था। बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग चार लाख निर्माण और अन्य क्षेत्र के श्रमिकों को घाटी छोड़ने को कहा गया था।
पुलवामा जिले के खानमोह औद्योगिक क्षेत्र के अध्यक्ष जुबैर अहमद ने बताया कि सरकार के आदेश के तुरंत बाद करीब 40 हजार कर्मियों ने घाटी छोड़ दी थी। इसके अलावा एक लाख स्थानीय श्रमिक भी पांच अगस्त के बाद से बेरोजगार हो गये हैं। उन्होंने बताया कि पांच अगस्त के बाद से औद्योगिक क्षेत्र के किसी भी कारखाने में काम नहीं हुआ है जिससे कुल 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है तथा किसी को यह नहीं पता कि हालात कब सामान्य होंगे। अगर हालात सामान्य होते भी हैं तो बाहरी श्रमिकों के घाटी लौटने और कारोबार को पटरी पर आने में महीनों लग जाएंगे।
अहमद ने बताया कि खानमोह औद्योगिक क्षेत्र में 200 से अधिक कारखाने हैं जिनके बंद रहने के कारण प्रतिदिन लगभग तीन करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि लकड़ी का काम करने वाले कुछ सिख श्रमिक लौट आये हैं लेकिन इससे कुछ ज्यादा मदद नहीं मिलने वाली है। कारखानों में काम होना जब तक शुरू नहीं होगा, तब तक श्रमिकों के लौटने का भी कोई फायदा नहीं। इसी तरह अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी कारखाने बंद हैं जिससे अरबों रुपये का नुकसान हुआ है।