नई दिल्ली। सरकार ने अर्थव्यवस्था में आयी सुस्ती को दूर करते हुये रोजगार सृजन एवं निजी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से कंपनी कर में शुक्रवार को कटौती की घोषणा की और इसे अमल में लाने के लिए कराधान कानून अध्यादेश 2019 जारी कर दिया। इस कर कटौती से घरेलू कंपनियों को 1.45 लाख करोड़ रुपये की छूट मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यहां जीएसटी परिषद की बैठक से पहले संवाददाताओं से बातचीत में कंपनियों को बड़ी राहत देने की घोषणा की। अर्थव्यवस्थ को गति देने के क्रम में सरकार का यह अब तक का सबसे बड़ा ऐलान है।
इससे सरकारी खजाने को 1.45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। पिछले सप्ताह भी वित्त मंत्री ने निर्यात बढ़ाने और अटकी पड़ी आवास परियोजनाओं में फंसे खरीदारों को राहत देने का ऐलान किया था। इस निर्णय से भी सरकार को 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अब तक किये गये राहत उपायों से खजाने पर करीब दो लाख करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। वित्त मंत्री ने घरेलू कंपनियों और नयी घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कंपनी करों में बड़ी कटौती की घोषणा करते हुये कंपनी कर की दर बिना रियायत के 22 प्रतिशत कर दी है। उपकर और प्रभार मिलाकर यह दर 25.17 प्रतिशत हो जायेगी जो अभी 30 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार और निवेश बढ़ाने के लिए आयकर कानून में चालू वित्त वर्ष से बदलाव किया जायेगा।
सीतारमण द्वारा कर कटौती की घोषणा किये जाने के साथ ही इस संबंध में अध्यादेश जारी कर दिया गया। इसके माध्यम से आयकर कानून 1961 और वित्त विधेयक 2019 में संशोधन किया गया है। अध्यादेश के स्थान पर संसद के अगले सत्र में विधेयक लाया जायेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ को बढावा देने के लिए आयकर कानून में एक नया प्रावधान किया जायेगा। चालू वित्त वर्ष में एक अक्टूबर के बाद से अस्तित्व में आने वाली और विनिर्माण में निवेश करने वाली घरेलू कंपनी को केवल 15 प्रतिशत की दर से कर देना होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि इस वर्ष एक अक्टूबर या उसके बाद देश में गठित किसी भी ऐसी कंपनी पर 15 प्रतिशत ही कर लगेगा। यदि यह कंपनी 31 मार्च 2023 से पहले उत्पादन शुरू कर देती है तो उसे 15 प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा लगेगा और सभी प्रकार के प्रभार और उपकर समेत यह 17.10 प्रतिशत होगा। इस तरह की कंपनियां न्यूनतम वैकल्पिक कर चुकाने से मुक्त होंगी।
सीतारमण ने कहा कि जो कंपनियां कर में छूट का लाभ नहीं उठाना चाहती और पुरानी दरों से कर चुकाना चाहती हैं तथा कर में पहले दी गयी छूट की अवधि समाप्त होने के बाद इस नयी कर दर को अपनाना चाहती हैं उन्हें 22 प्रतिशत की दर से कर देना होगा। नयी कर दर अपनाने के बाद उन्हें पुरानी दर अपनाने की छूट नहीं मिलेगी। छूट और इसेंटिव ले रही कंपनियों को राहत देने के लिए मैट को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने कंपनियों के लिए एक और बड़ा ऐलान करते हुए बताया कि पांच जुलाई 2019 से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा करने वाली कंपनियों पर ‘सुपर रिच’ कर नहीं लगेगा। पूंजी बाजार में प्रवाह बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष के आम बजट में बढ़ाया गया प्रभार कंपनी में शेयरों की बिक्री और इक्विटी फंड यूनिट बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर नहीं लगेगा। इस छूट में एफपीआई और डेरेवेटिव भी शामिल हैं।