चेन्नई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि युवाओं के ओला और उबर जैसी कंपनियों की सेवाओं के प्रति आकर्षित होने और वाहनों के किश्तों में भुगतान करने से दूरी बनाने के कारण भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा है लेकिन सरकार ऑटो क्षेत्र की मांग पर गंभीरता से विचार कर रही है। सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मद्देनजर मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार सशक्त पहल और निर्णायक कदम उठा रही है और उनकी सरकार ऑटो क्षेत्र की स्थिति को लेकर गंभीर है। इस क्षेत्र की मांग पर गंभीरता से विचार जारी है और शीघ्र ही जबाव मिलने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने ऑटो क्षेत्र की कुछ मांगों को स्वीकार कर चुका है। ऑटो क्षेत्र के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कई वर्षां तक तेजी से आगे बढ़ा है। वाहनों विशेषकर यात्री वाहनों पर जीएसटी में कटौती करने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में जीएसटी परिषद निर्णय लेगी। वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाये गये कदमों का हवाला देते हुये कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में व्यय बढ़ाये जाने से उपभोग में तेजी आयेगी और दूसरी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद में बढोतरी होगी।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीवी वृद्धि दर के पांच प्रतिशत पर आ जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पहले भी जीडीपी में पांच प्रतिशत तक की बढोतरी हुयी है। उन्होंने कहा कि कभी कभी जीडीपी की वृद्धि दर अधिक होती है तो कभी कभी यह कम रह जाती है। जीडीपी में गिरावट विकास का हिस्सा है और अगली तिमाही में इसमें तेजी लाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यय के लिए कार्यबल गठित किया गया है और जब एक बार व्यय शुरू हो जायेगा तो उपभोग में तेजी आने लगेगी। सरकार ने पाचं वर्षां में इंफ्रा क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये व्यय का लक्ष्य रखा है। जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी आने के बारे में उन्होंने कहा कि संग्रह पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है और सरकार को कर आधार बढ़ाने की आवश्यकता है।