नई दिल्ली। महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत देश की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कश्मीर में पिछले 37 दिनों से जारी संकटपूर्ण स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का विरोध किया ताकि वहां महिलाओं की हालत में सुधार किया जा सके। देश में महिलाओं के सबसे बड़े गैर-सरकारी संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन के नेतृत्व में करीब डेढ़ सौ से अधिक महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राजधानी के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया और कश्मीर घाटी में लोकतांत्रिक अधिकारों और मानवाधिकारों को बहाल करने की मांग की।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, प्रगतिशील लेखक संघ, प्रगतिशील महिला समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ, अनहद, मोबाइल क्रेच, बालिघा ट्रस्ट जैसे अनेक संगटनों की महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि कश्मीर में पिछले एक महीने से अधिक समय से संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो गई है जिसके कारण लोगों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो गया है। वहां की महिलाएं हर महीने की दस तारीख को लाल चौक पर एकत्रित होकर अपने न्याय के लिए मांग उठाती रही हैं और यह बताती रही हैं कि किस तरह उनके कई परिजन सैन्य कार्रवाइयों में लापता हो गये हैं। इस वर्ष दस तारीख को मुर्हरम का त्योहार है और ऐसे में उन महिलाओं की तकलीफ और गहरी हो गई है। उन्हें समर्थन देने के लिए और उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए आज हम सब यहां एकत्रित हुए हैं।
एनएफआईडब्ल्यू की महासचिव एनी राजा ने महिला कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर में दक्षिणपंथी ताकतों को शिकस्त देने के लिए आज एकजुट होने और अपनी लड़ाई लड़ने की जरूरत है क्योंकि वर्तमान सरकार संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर वहां लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल रही है और इसके पीछे कारपोरेट ताकतों का भी हाथ हैं क्योंकि वे जम्मू-कश्मीर की जमीन को हड़प कर वहां अपना साम्राज्य फैलाना चाहते हैं। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की मैमोना मुल्ला ने कहा कि वह खुद जम्मू-कश्मीर गईं थीं और उन्होंने वहां कश्मीरी महिलाओं से बातचीत कर यह पता लगाया है कि वे कितनी तकलीफों से गुजर रही हैं। उनके छोटे-छोटे बच्चों को पकड़ कर प्रताड़ति किया जा रहा है और कई लोग लापता भी हो जा रहे हैं।