नई दिल्ली। चंद्रयान-2 को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर आई है। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर गिरने के बाद नहीं टूटा है। इसरो के सूत्रों ने कहा है लैंडर विक्रम को जैसे उतरना चाहिए था वैसे वह नहीं उतरा। इसरो ने कहा है कि लैंडर विक्रम से संपर्क की कोशिशें जारी हैं।
इसरो मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने सोमवार को दावा किया कि यह ऑर्बिटर के ऑन-बोर्ड कैमरे द्वारा भेजी गई तस्वीरों से यह साफ हो गया है कि जहां पर लैंडिंग होनी थी, वहां लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई है। ऑर्बिटर की तस्वीरमें लैंडर एक ही टुकड़े के रूप में दिख रहा है। लैंडर टुकड़ों में नहीं टूटा है। यह चांद की सतह पर झुकी हुई स्थिति में है।
अधिकारी ने कहा कि हम यह देखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि क्या लैंडर के साथ संचार फिर से स्थापित किया जा सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने रविवार को कहा था कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर में लगे कैमरों ने लैंडर की मौजूदगी का पता लगाया। इससे एक दिन पहले ही यह महत्त्वकांक्षी चंद्रमा मिशन योजना के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं कर पाया था।
सिवन ने कहा कि लैंडर ने संभवत: 'हार्ड लैंडिंग की और उसके साथ संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेले ने कहा, “लैंडर मॉड्यूल की स्थिति बिना किसी संदेह के साबित करती है कि ऑर्बिटर बिल्कुल सही तरीके से काम कर रहा है। ऑर्बिटर मिशन का मुख्य हिस्सा था क्योंकि इसे एक साल से ज्यादा वक्त तक काम करना है।” उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर के सही ढंग से काम करने से मिशन के 90 से 95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिए जाएंगे।