बेंगलुरु। चंद्रयान-2 की मदद से शनिवार को तड़के अंतरिक्ष में इतिहास की नयी गाथा लिखने से ठीक पहले देश को उस समय धक्का लगा जब चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया। चंद्रमा की सतह पर उतरने से महज 2.1 किलोमीटर पहले चंद्रयान-2 अभियान योजनाबद्ध कार्यक्रम के मुताबिक आगे बढ़ रहा था लेकिन अंतिम सफलता हासिल करने से ठीक पहले विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया और केंद्र में मौजूद इसरो अध्यक्ष डॉ के सिवन समेत सभी वैज्ञानिकों के चेहरे पर मायूसी छा गई और वहां सन्नाटा पसर गया।
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के जीवंत अवलोकन करने के लिए इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेंट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केन्द्र में मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसरो अध्यक्ष के सिवन ने जब विक्रम लैंडर का संपर्क टूट जाने की जानकारी दी तो मोदी ने उनकी पीठ थपथपाते हुए सभी वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई की। डॉ सिवन ने कहा,‘‘ विक्रम लैंडर निर्धारित समय एवं योजना के अनुरुप चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए बढ़ रहा था और सतह से 2.1 किलोमीटर दूर तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन इसके बाद उससे संपर्क टूट गया। प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।’’
मोदी ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘ भारत को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है। उन्होंने अपना बेहतर दिया है और भारत को हमेशा गौरवान्वित महसूस कराया है। यह साहसी बनने के क्षण हैं और हम साहसी बने रहेंगे। इसरो के चेयरमैन ने चंद्रयान-2 के बारे में जानकारी दी। हमें पूरी उम्मीद है और हम अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर लगातार पूरी लगन के साथ मेहनत करते रहेंगे।’’ चंद्रयान-2 के दौरान कुल 16 बड़ी बाधायें सामने आयीं जिसमें आखिरी क्षणों के ‘सबसे भयावह’ 15 मिनट भी शामिल थे। इसके साथ ही चांद पर पहुंचने के लिए शुरू किया गया भारत का 48 दिवसीय मिशन पूरा हो गया लेकिन इसके जरिये कोई नया इतिहास नहीं रचा जा सका।