मुबई। फूड एग्रीगेटर कंपनी जोमैटो एक बार फिर सुर्खियों में है। पश्चिम बंगाल में जोमैटो के डिलीवरी एग्जिक्यूटिव्स अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले गए हैं। डिलीवरी एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि कंपनी उनकी मांगों को नहीं सुन रही है और उन्हें उनकी मर्जी के बिना बीफ और पोर्क देने के लिए मजबूर कर रही है।
डिलीवरी एग्जीक्यूटिव्स की हड़ताल के बाद कंपनी ने बयान जारी किया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि भारत जैसे देश में, डिलिवरी में वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन खाने को अलग-अलग करना असंभव है। कंपनी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पार्टनर्स का एक ग्रुप इस मामले को लेकर बात उठाई है और वो इसे जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश कर रहा है।
ट्विटर यूजर्स ने जोमैटो डिलीवरी एग्जीक्यूटिव्स की इस हड़ताल की तुलना 1857 के विद्रोह से की है। एक यूजर ने लिखा कि 1857 का विद्रोह भी बीफ और पोर्क को लेकर हुआ था, इसलिए जोमैटो को लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए और ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। वहीं कुछ यूजर्स इसमें जोमैटो के साथ खड़े नजर आए। यूजर्स का कहना है कि जोमैटो को उन्हीं लोगों को काम पर रखना चाहिए, जिन्हें किसी भी तरह का खाना डिलीवर करने में परेशानी न हो।