नई दिल्ली। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढावा देने के उद्देश्य से नौसेना के लिए देश में ही बने अत्याधुनिक संचार तंत्र सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो और तटवर्ती क्षेत्रों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस चलित प्रणाली की खरीद को मंजूरी दी है। इस प्रणाली के माध्यम से ब्रृहमोस मिसाइलों को तटीय क्षेत्रों में कहीं भी तैनात किया जा सकेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज यहां हुई रक्षा खरीद परिषद की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया। तटीय क्षेत्रों में तैनात की जाने वाली मोबाइल कोस्टल बैटरी सतह से सतह पर लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगी। यह प्रणाली जंगी जहाजों से तटीय क्षेत्रों की रक्षा करेगी। विशाल ट्रकों पर लगायी जाने वाली इस प्रणाली को तटीय क्षेत्रों में आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकेगा।
इनकी तैनाती के बाद दुश्मन के जंगी जहाज तटवर्ती क्षेत्रों पर हमला नहीं कर सकेंगे। यह प्रणाली भारत- रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड ने विकसित की है। एसडीआर एक अत्याधुनिक संचार तंत्र है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा बीईएल ने इसे विकसित किया है। इससे सूचनाओं के तेज गति से आदान-प्रदान तथा सहयोग में मदद मिलेगी। ये दोनों ही प्रणाली अगली पीढी की हैं और इनसे देश की मेक इन इंडिया योजना को मजबूती मिलेगी। रक्षा खरीद परिषद ने व्यवसाय में सुगमता को ध्यान में रखते हुए रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 में संशोधन को भी मंजूरी दे दी। इसमें ‘मेक’ श्रेणी और ‘ऑफसेट’ में प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।